केंद्र सरकार ने देश में 91 सालों से चले आ रहे ‘रेल बजट’ पेश करने की परम्परा को खत्म कर दिया है, कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।
एक साथ पेश होंगे, रेल और आम बजट:
- केंद्र सरकार की कैबिनेट ने रेल बजट को संसद में अलग से पेश करने की परम्परा को खत्म कर दिया है।
- जिसके बाद साल 2017 से रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जायेगा।
- गौरतलब है कि, रेल बजट पेश करने की परम्परा ब्रिटिश शासन के समय से चली आ रही थी।
- पहली बार साल 1924 में रेल बजट पेश किया गया था।
- जिसे केंद्र की कैबिनेट ने 91 सालों पर बाद खत्म कर दिया है।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही दे चुके हैं सहमति:
- रेल बजट को आम बजट से मिलाने के लिए मौजूदा रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही सहमति दे चुके हैं।
- मंत्रालय का वित्तीय लेखा-जोखा भी आम बजट का उसी तरह से होगा, जैसा की अन्य मंत्रालयों के लिए होता है।
- रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, अब वित्त मंत्रालय ही रेल मंत्रालय के लिए बजट तय करेगा।
- गौरतलब है कि, अभी दोनों मंत्रालयों के अधिकारों का बंटवारा बाकी है।
- जिसके लिए प्रक्रिया तय किया जाना अभी बाकी है।
- वित्त और रेल मंत्रालय के बीच पेंशन की देनदारी, डिवीडेंड, बजटरी सपोर्ट और किराये पर अंतिम फैसला होना बाकी है।
किराये का अधिकार रखना चाहता है रेल मंत्रालय:
- कैबिनेट की मंजूरी के बाद वित्तीय वर्ष 2017 में आम बजट में ही रेल बजट पेश किया जायेगा।
- हालाँकि, अभी दोनों मंत्रालयों के बीच अधिकारों को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा या बैठक नहीं हुई है।
- वहीँ रेल मंत्रालय किराये का अधिकार अपने पास रखना चाह रहा है।
- इसके अलावा बाजार से पैसा उठाने के अधिकार को भी रेल मंत्रालय अपने पास रखना चाहता है।
- सातवें वेतन आयोग का बोझ, राजस्व में आ रही कमी रेल मंत्रालय के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय है।
- इसके बाद वित्त मंत्रालय से अधिकार क्षेत्र के बंटवारे के चलते रेल मंत्रालय की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।