हाल ही में उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी इकाई के पार्टी फंड में बीते दिनों 93 करोड़ 38 लाख रुपयों की हेराफेरी और चोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया था, अब उसी कड़ी में भाजपा की एक और इकाई में पार्टी फंड की धांधली उजागर हुई है. मामला राजस्थान भाजपा इकाई के पार्टी फंड से 49 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के गायब होने का है. बता दें कि इस बात की जानकारी खोजी पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी ने दी है. 

राजस्थान भाजपा इकाई में 49 करोड़ 63 लाख रूपये गायब:

आज राजस्थान भाजपा इकाई के पार्टी फंड से 49 करोड़ 63 लाख रूपये गायब मिलने की सनसनीखेज रिपोर्ट नई दिल्ली के स्वतंत्र खोजी पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी ने जयपुर में कुछ चुनिंदा पत्रकारों को दी।

उनके अनुसार यह मामला साल 2013 पिछले विधानसभा चुनावों के समय का है जब अशोक परनामी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे और सतीश पूनिया महासचिव थे।

आंध्रा, महाराष्ट्र, एमपी, यूपी भाजपा फंड में भी धांधली का आरोप:

भाजपा पार्टी फंड में हो रहा गड़बड़ झाला रुकने का नाम नहीं ले रहा, स्वतंत्र खोजी पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी अब तक भाजपा की आंध्र प्रदेश इकाई का करीब 23 करोड़, महाराष्ट्र इकाई से 95 करोड़, मध्यप्रदेश भाजपा से 119 करोड़ , उत्तरप्रदेश भाजपा से 93 करोड़ गायब होने का आरोप लगा चुके है.

पार्टी फंड से हो रही चोरी एक अत्यंत मजेदार कहानी है, जिसके किरदार सिर्फ चंद गिने चुने नेता व पदाधिकारी है. जो इस काम को बड़े शातिर तरीके से अंजाम दे रहे है.

अभी तक यह मालूम नहीं चल पाया है कि इस खेल की जानकारी पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को है या नहीं।

हर दस्तावेज़ पर केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल के हस्ताक्षर:

उपलब्ध दस्तावेज़ के अनुसार हर एक कागज़ वेरीफाई और हस्ताक्षरित किये गए है. केंद्रीय मंत्री व कोषाध्यक्ष पियूष गोयल, संगठन मंत्री राम लाल और उस संबंधित राज्य के प्रदेश अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के भी इन दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर व मुहर है।

Rajasthan BJP-Fund-Scam: Forty Nine-Crore-Rupees-Missing

पिछले विधानसभा चुनाव जब राजस्थान में हुए थे तब चुनाव आयोग द्वारा मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट 4 अक्टूबर 2013 को लागू हुआ था,  जो 8 दिसंबर 2013 तक जारी था।

चुनाव आयोग में भाजपा ने इस चुनाव में हुए खर्चे और चंदे की आमदनी का ब्यौरा 31 दिसंबर 2014 में पेश किया गया था। नवनीत चतुर्वेदी ने भाजपा द्वारा चुनाव आयोग में जमा की गई यह रिपोर्ट मीडिया के सामने पेश की।

रिपोर्ट के मुताबिक़ 100 करोड़ 2 लाख कुछ उपलब्ध राशि:

इस रिपोर्ट के अनुसार 4 अक्टूबर 2013 को भाजपा के केंद्रीय और राजस्थान स्टेट ऑफिस में कुल उपलब्ध नगद और बैंक जमा राशि 35 करोड़ 22 लाख रूपये थी।

4 अक्टूबर से 8 दिसंबर 2013 तक कुल प्राप्त राशि चंदे वगैरह की नगद और चैक सब मिला कर 64 करोड़ 80 लाख थी , इस तरह पार्टी के पास कुल उपलब्ध राशि 100 करोड़ 2 लाख रूपये हुई।

Rajasthan BJP-Fund-Scam: Forty Nine-Crore-Rupees-Missing

इस समय अवधि में पार्टी ने विभिन्न चुनावी मदों में 30 करोड़ 92 लाख रूपये खर्च किये. अब पार्टी के पास कायदे से करीब 69 करोड़ दस लाख रूपये पार्टी फंड में शेष होना चाहिए था।

खर्च के बाद 69 करोड़ शेष न बचने के बजाए 19 करोड़ बचे:

लेकिन यहां रिपोर्ट कहती है पार्टी के पास सिर्फ 19 करोड़ 47 लाख रूपये शेष है. नगद और बैंक जमा सब मिला कर.

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ऐसे में सवाल यह उठता है कि पार्टी का 49 करोड़ 63 लाख रुपया कहाँ चला गया और कौन ले गया?

यहां इस रिपोर्ट को तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी और महासचिव सतीश पूनिया द्वारा अपने हस्ताक्षर कर वेरीफाई किया गया है और जयपुर की एक सीए फर्म बी जैन & एसोसिएट के सीए राजेश मंगल द्वारा प्रमाणित किया गया है.

घपले के बाद भी रिपोर्ट सीए और कोषाध्यक्ष ने की प्रमाणित:

दूसरी तरफ इस रिपोर्ट को पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पियूष गोयल और संगठन मंत्री रामलाल द्वारा भी हस्ताक्षरित किया गया है और दिल्ली की एक सीए फर्म वी के थापर & कंपनी द्वारा भी प्रमाणित किया गया है।

यहां इस स्थिति में यह कह सकते है कि चार्टर्ड अकाउंटेंट की गरिमा को नष्ट किया गया है और इन गिने चुने भ्रष्ट सीए की मदद से फर्जी एकाउंट्स भाजपा के पदाधिकारियों ने तैयार करवा कर चुनाव आयोग में पेश कर चुनाव आयोग और आयकर विभाग को झूठे दस्तावेज सौंप कर उनकी आँखों में धूल झौंकी गई है।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व फंड धांधली पर मौन:

उधर दूसरी तरफ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे पर मौन है. दूसरे छोटे नेता इस विषय अपना बयान देने को तैयार नहीं है क्योंकि पार्टी फंड से जुड़े विषयों से उनका कोई सीधा संबंध है नहीं और वो इस विषय को केंद्रीय नेतृत्व पर टाल देते है।

यहां भाजपा के पार्टी फंड से जुड़ा यह गड़बड़ झाला सिर्फ एक पार्टी का आंतरिक मसला नहीं है. अगर उनके नेता अपनी ही पार्टी का  फंड हज़म कर जा रहे हो. उनके हाथों में देश का राजकीय कोष कितना सुरक्षित होगा वह नितांत चिंता का विषय है।

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