समाजवादी पार्टी के लिए आज दिन बहुत बड़ा साबित हो रहा है. तेजी से बदल रहे घटनाक्रम में शह और मात का खेल जारी है. शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से निकाला गया. इस घटना के बाद बड़ी प्रतिक्रिया तो आनी थी और आई भी. अभी-अभी रामगोपाल को पार्टी से निकाल दिया गया है. पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

लेटर बम का रिएक्शन:

कयास लगाये जा रहे थे कि लेटर बम का असर तो दिखाई देगा. इसका असर इतना जल्दी होगा और विपरीत होगा ये शायद रामगोपाल यादव ने सोचा नहीं होगा. अखिलेश का साथ देना और शिवपाल का विरोध करना रामगोपाल को भारी पड़ गया. शिवपाल ने पहले अपनी सुरक्षा और सरकारी वाहन को लौटा दिया. उसके बाद उन्होंने रामगोपाल को बीजेपी का एजेंट करार दिया.

रामगोपाल ने किया आत्मघाती गोल:

  • केवल एक लेटर ने रविवार सुबह से यूपी की राजनीति की दशा और दिशा दोनों को बदलकर रख दिया है.
  • शिवपाल यादव के कद और ओहदे को देखते हुए प्रोफेसर साहब का शिवपाल यादव को निशाना बनाना महंगा पड़ा.
  • शिवपाल ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यहाँ तक कहा कि रामगोपाल हमेशा से साजिश करते आये हैं.
  • शिवपाल यादव ने पहली बार खुद इस लड़ाई को आगे बढ़ाने का काम किया है.
  • मुलायम सिंह यादव अब भी चुप हैं और उनका कोई बड़ा बयान अभी तक नहीं आया है.
  • सबकी निगाहें अब सपा प्रमुख पर टीकीं हुई हैं.

ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सपा की ये लड़ाई आखिर थामती है या नही. समाजवादी पार्टी के लिए ये सब अच्छा संकेत नही है. ऐसे में पार्टी को सत्ता का डबल स्ट्रोक खेलने में आउट होने की संभावनाएं ज्यादा दिख रही हैं.

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