उन्नाव और कठुआ रेप केस को लेकर दिल्‍ली महिला आयेाग की अध्‍यक्ष स्‍वाति मालीवाल ने राजघाट पर अनशन शुरू कर दिया है. स्‍वाति मालीवाल की मांग है कि रेप के आरोपियों को छह महीने में फांसी की सजा हो. इस संबंध में स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस मामले में हस्‍तक्षेप करने की मांग की है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष है स्वाति:

बच्चों एवं महिलाओं से दुष्कर्म के आरोपियों को मामला दर्ज होने के छह माह के भीतर मृत्युदंड देने का प्रावधान किए जाने की मांग करते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल आज अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठीं। उन्होंने इससे पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा कि वे अपनी मांग को लेकर राजघाट पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ रही है।

मालीवाल ने कहा, “बच्चों के साथ दुष्कर्म और इस पर केंद्र की खामोशी को सहन नहीं किया जा सकता।

मालीवाल ने कहा, ” केंद्र को दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के छह माह के भीतर अपराधियों को मृत्युदंड दिये जाने का प्रावधान करना चाहिये और उन्नाव और कठुआ दुष्कर्म पीड़ितों के साथ इंसाफ किया जाना चाहिए।”

Rape case
Rape case

उन्होंने कहा कि दिल्ली महिला आयोग पिछले ढाई वर्ष से यह मांग करती आ रही है। अपनी इस मांग को लेकर अब तक महिला आयोग  साढ़े पांच लाख पत्र भी भेज चुका है। मालीवाल ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया।

प्रधानमन्त्री को भी लिख चुकी चिट्ठी: 

उन्होंने कहा, “मैं बहुत अचंभित हूं कि इस संवेदनशील मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं किया जा रहा है और न ही देश के प्रधानमंत्री इन घटनाओं पर कोई प्रतिक्रिया जता रहे हैं।”

स्वाति मालीवाल ने कहा है कि जब तक प्रधानमंत्री छोटे बच्चों के रेप मामले में 6 महीने के अंदर फांसी की सजा का प्रावधान नही लाते तब तक अनशन जारी रहेगा. उन्‍होंने कहा कि कठुआ में राजनीति हो रही है. निर्भया के समय भी यही हुआ था.

इस बीच विभिन्न छात्र एवं महिला संगठनों ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग से दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत की घटना के विरोध में संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ, अखिल भारतीय प्रजातांत्रिक महिला संघ, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ, अखिल भारतीय छात्रसंघ एवं अन्य संगठनों के पदाधिकारियों और कार्यकर्त्ताओं ने हिस्सा लिया।

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