देश भर में घर खरीदने वालों के लिए बहुत बड़ी खबर है। उनके हितों की रक्षा के लिए गुरुवार को रियल इस्टेट रेग्यूलेटरी अथारिटी बनाने का बिल राज्यसभा में पास हो गया। लाखों लोगों के सिर पर छत का सपना अब न टूटे इसके लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

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खरीदारों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें कुछ बिल्डरों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए रियल इस्टेट रेग्यूलेटरी अथारिटी बनाने का बिल आखिरकार राज्यसभा ने पास कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री एम वेकेंया नायडू ने कहा कि इससे देश भर के लाखों लोगों को राहत मिलेगी।
इस बिल में प्रावधान किया गया है कि कोई भी बिल्डर अपने प्रोजेक्ट में दो तिहाई ग्राहकों की मंजूरी के बगैर बदलाव नहीं कर पाएगा। एक प्रोजेक्ट के लिए लिया गया 70 फीसदी पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगेगा और इसे एक अलग एकाउंट में रखना होगा। दो साल में हर प्रोजेक्ट पूरा होना चाहिए, मगर अधिकतम एक और साल की छूट मिल सकती है। विज्ञापन और प्रचार में जो बताया जाएगा, उसे डील में शामिल माना जाएगा। मकान का कब्जा देने में जो देरी होगी, उस पर उतना ही ब्याज देना होगा जितना ग्राहक पर भुगतान में देरी पर लगता है। पहली बार कार्पेट एरिया को परिभाषित कर दिया गया है।
लंबे समय से लटके इस बिल को पास कराने में कांग्रेस ने भी सरकार का साथ दिया। पूर्व शहरी विकास मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि यूपीए सरकार ने भी इसे पास कराने की कोशिश की थी। अब यह बिल फिर लोकसभा में जाएगा क्योंकि इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं।
जानकारों का कहना है कि रोजगार देने वाला खेती के बाद रियल इस्टेट दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। मगर इसमें धोखा खाए मध्यम वर्ग की दुखभरी कहानियां किसी का भी दिल तोड़ सकती हैं। अब उम्मीद है कि नए कानून से इसमें न सिर्फ पारदर्शिता आएगी बल्कि बिल्डरों और खरीदारों दोनों की जवाबदेही भी तय होगी।

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