सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर जल संबंधी हिंसा के दौरान मुआवज़े की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया.तमिल नाडू और कर्नाटक दोनों राज्यों पर यह फैसला आया है.इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने  कावेरी जल विवाद के तहत कर्नाटक से  2,480 करोड़ मुआवज़े की मांग की थी .वर्तमान समय में तमिलनाडु  में कावेरी जल बहाव पर रोक लगी हुई है.सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला देते हुए कर्नाटक और तमिलनाडु सरकार से इस केस के गवाहों को पेश करने के आदेश दिए थे .साथ इस केस के अंतरगत हलफनामे दाखिल करने को कहा था. दोनों सरकारों को चार हफ्ते का समय दिया था .

आखिर क्या है कावेरी जल विवाद-

  •  कावेरी नदी का उद्धम स्थान कर्नाटक के कोडागु जिले में है.
  •  कर्नाटक के कई शहरों को पार करते  हुए तमिलनाडु स्थित बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
  • इस बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आता है.
  • जबकि तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र  इस बेसिन को मापता  है.
  • दोनों ही राज्यों में इसके पानी को लेकर 1892 से विवाद जारी है.
  • जून 1990 में केंद्र सरकार ने कावेरी ट्रिब्यूनल बनाया.
  • जिसने 16 वर्षों की सुनवाई के बाद  साल 2007 में फैसला दिया.
  • फैसले में प्रति वर्ष 419 अरब क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु को.
  • औऱ 270 अरब क्यूबिक फीट पानी कर्नाटक को दिया जाना तय हुआ.
  • लेकिन दोनों राज्य इस  फैसले पर खुश नहीं थे।
  • 2012 में कावेरी नदी प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया.
  • तमिलनाडु को रोज 9 हजार क्यूसेक पानी दे।
  • राज्य ने फैसले पर अमल किया लेकिन तमिलनाडु को पानी जारी करने की बात पर
  • प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए.
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