सुप्रीम कोर्ट ने आज पूर्व सासंदों को आजीवन पेंशन और भत्ता देने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. एससी ने गैर-सरकारी संगठन लोक प्रहरी की याचिका को खारिज करते हुए पूर्व सांसदों के पेंशन को बरकरार रखने का फैसला सुनाया। एनजीओ ने पूर्व सांसदों को दी जाने वाली पेंशन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। 

‘माननीयों’ को एससी ने दी खुशखबरी, जिंदगीभर मिलती रहेगी पेंशन:

सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व सांसदों को मिलने वाले पेंशन एवं यात्रा भत्ता को समाप्त करने संबंधी अपील सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने लखनऊ के गैर-सरकारी संगठन ‘लोक प्रहरी’ की याचिका का निपटारा करते हुए कहा, कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील खारिज की जाती है। याचिकाकर्ता ने सांसदों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन कानून 1954 में किए गए संशोधन को निरस्त करने की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता ने पूर्व सांसदों को पेंशन और यात्रा भत्ता सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के प्रावधानों को चुनौती दी थी।

न्यायालय ने पिछले वर्ष मार्च में याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था और सभी सम्बद्ध पक्षों की विस्तृत जिरह के बाद सात मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

याचिकाकर्ता की दलील थी कि संसद के सदस्य न होने के बावजूद माननीयों को पेंशन एवं अन्य भत्ते दिए जाते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है। केंद्र सरकार ने पूर्व सांसदों को दिए जाने वाले पेंशन एवं भत्तों को न्यायोचित ठहराया था तथा कहा था कि सांसद न रहने के बावजूद माननीयों को अपने क्षेत्र में जाना पड़ता है और स्थानीय जनता से मिलना जुलना पड़ता है।

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