देशभर के प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस ली जाती है इसमें कोई दो राय नहीं है। अभिभावक को हमेशा इस स्कूलों में मोटी रकम की फीस भरने के कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इन समस्याओं पर अंकुश लगाने के लिए गुजरात सरकार ने उठये बड़े कदम। गुजरात विधानसभा में पारित हुआ स्कूल फ़ीस नियमन बिल। अब अगर गुजरात के प्राइवेट स्कूलों में मनमाने फीस वसूले गये तो उनपर गिरेगी गाज।

गुजरात विधानसभा में पारित हुआ बिल:

  • मनमानी फीस और डोनेशन को रोकने के लिए सरकार ने विधानसभा में पारित किया कानून।
  • पारित हुए नये कानून के अनुसार तय हुआ प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों की सालाना फीस।
  • इस कानून के मुताबिक प्राइमरी स्कूलों के लिए एकमुश्त सालाना 15 हजार, माध्यमिक के लिए 25 हजार फीस होगा।
  • वहीं उच्च माध्यमिक अर्थात हायर सेकेंड्री विद्यालयों के लिए 27 हजार की रकम तय की गई।

मध्यम वर्ग मिलेगी राहत:

  • राज्य शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा ने कहा कि मनमाने फीस वसूलने वाले कई स्कूलों की अनगिनत शिकायते मिली थी।
  • जिसमें अभिभावकों पर किसी खास जगह से जूते, ड्रेस और किताबें खरीदने का भी दबाव बनाते हैं।
  • इतना ही नहीं एडमिशन के लिए भारी-भरकम डोनेशन भी वसूलते हैं।
  • उन्होंने कहा कि इस विधेयक में ऐसी बातों को गैरकानूनी बना दिया गया है।
  • इसके साथ ही कानून में तय फीस में सभी तरह के शुल्क शामिल होंगे।
  • उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा का खर्च उठाने में कठिनता अनुभव करने वाले मध्यम वर्ग को खासी राहत मिलेगी

शिकायत मिलने पर दण्ड का प्रावधान:

  • नये कानून के तहत सिर्फ ही नहीं तय हुई बल्कि ऐसे स्कूलों की शिकायत मिलने पर दण्ड का प्रावधान भी बनाया गया।
  • शिक्षा मंत्री ने कहा कि गुजरात स्वनिर्भर शाला फी नियमन विधेयक में दी जानकारी।
  • कहा कि इस सीमा से अधिक फीस लेने वाले स्कूलों को पहली गलती पर पांच लाख दंड लगेगा।
  • साथ ही दूसरी गलती पर स्कूलों को दस लाख का दंड देना होगा।
  • ऐर अगर तीसरी गलती सामने आई तो उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
  • गौरतलब है कि इस मामले में शिकायतें लेने और इनकी जांच समेत अन्य संबंद्ध मामलों की सुनवाई के लिए चार क्षेत्र अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट में चार समितियों का गठन होगा।
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