एक देश के अविकसित होने में कई ऐसे कारण है जो उसका विकास ना होने में अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसा ही एक कारण कुपोषण है. यह एक ऐसी बीमारी है जो नवजात शिशुओं को अपना शिकार बनाती है और जीवन भर उनके शरीर को जकड़े रखती है. कुपोषण भारत के अविकसित होने का एक बहुत बड़ा कारण है. वैसे तो सरकार इसे जड़ से ख़त्म करने के लिए बहुत सारे कदम उठा रही है. परंतु इसका परिणाम आने में समय तो लगेगा ही. ऐसे में इस बीमारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए एक IAS अधिकारी आगे आये हैं और एक ऐप के ज़रिये उन्होंने इस पर काफी शिकंजा कस लिया है.

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आइये जाने कौन है यह व्यक्ति :

  • 32 साल के सुहास एल.वाय. आज़मगढ़ के कलेक्टर हैं
  • सुहास वैसे तो कर्नाटक के शिमोगा क्षेत्र के रहने वाले हैं
  • अपना कार्यभार संभालने से पहले सुहास बंगलुरु में सॉफ्टवेर इंजिनियर थे
  • आजमगढ़ के यह कलेक्टर किताबें पढ़ने के शौक़ीन हैं
  • इसके अलावा इन्हें तकनीक से हाथ मिला कर चलना बेहद पसंद है

कैसे कसा कुपोषण पर शिकंजा :

  • भारत सरकार के डाटा के अनुसार 5 साल से नीचे कि उम्र के 36% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं
  • जिसमे से उत्तर प्रदेश का आकड़ा देश के आकड़े से ज़्यादा हैं
  • वैसे तो उत्तरप्रदेश का अपना राज्य पोषण मिशन है परंतु वह इतना कारगर नहीं है
  • सुहास ने इसी मिशन से जुड़ते हुए एक ऐप का निर्माण किया है
  • उनकी इस ऐप का नाम कुपोषण का दर्पण है
  • सुहास ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और इस ऐप को साथ मिलाया
  • इसके साथ ही सुहास ने WHO कि गाइडलाइन को ध्यान में रखकर अपने क्षेत्र पर नज़र रखी
  • सुहास के अनुसार इस ऐप से आप बच्चों के विकास पर ना केवल नज़र रखते हैं
  • बल्कि यह ऐप आपको कुपोषण खत्म करने की टिप्स भी देती है
  • साथ ही सुहास द्वारा बनाई गयी इस ऐप में आपको बस बच्चे का लिंग व उम्र डालना है
  • जिसके बाद यह ऐप आपको खुद बच्चों को देने वाला आहार व लगने वाले टीकों की जानकारी देता है
  • इसके अलावा यह ऐप ऑफलाइन भी काम करता है व हिंदी भाषा में भी उपलब्ध है
  • साथ ही सुहास ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफ़ोन दिए जाने के भी प्रयास किये हैं
  • इसके अलावा सुहास कि पत्नी ऋतू जो उप निदेशक (एकीकरण) हैं
  • उन्होंने भी सुहास के कदम से कदम मिलते हुए महिलाओं के लिए ऐप बने है
  • इस ऐप का नाम प्रेगनेंसी का दर्पण रखा गया है जो गर्भवती महिलाओं को सुविधा पहुँचा रही है

 

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