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हाल ही में हुए उरी और बारामुल्ला हमले के बाद देश में पाकिस्तानी कलाकारों के बहिष्कार की एक लहर सी दौड़ गयी है. जहाँ एक ओर देश के नागरिक इस बहिष्कार का समर्थन कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बॉलीवुड के कई दिग्गज इसका विरोध कर रहे हैं जिसमे सलमान खान, महेश भट्ट, करन जौहर आदि शामिल हैं.

इस बहस पर भारतीय सेना के मेजर गौरव आर्य ने एक खुला ख़त लिखकर इन सबको एक करार जवाब दिया है.

मेजर गौरव आर्या ने दिया सलमान को जवाब-

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मेजर गौरव आर्य ने लिखा कि अभी हमारे जवान पाकिस्तान में सफल सर्जिकल स्ट्राइक कर लौटे हैं. जिसके बाद पूरे देश में ख़ुशी की एक लहर सी दौड़ गयी पूरा देश जहाँ एक ओर सेना को बधाई दे रहा है. वही दूसरी ओर कुछ लोग असंतुष्ट नज़र आ रहे हैं

मेजर गौरव ने लिखा कि निर्देशक करन जौहर पूछते हैं कि फवाद खान को पकिस्तान भेजने से आतंकवाद खत्म होगा ? इसके साथ ही महेश भट्ट का कहना है कि, ‘आतंकवाद खत्म करो, बातचीत नहीं’ अगर यह सब मानकर हम पकिस्तान से पहले जैसा ही व्यवहार करें. क्रिकेट खेले व व्यापार भी करे तो क्या यह हमारे जवानो के साथ नाइंसाफी नहीं होगी जो सीमा पर अपने देश की खातिर अपनी जान देते हैं.

इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि हम यह जानते हैं कि पकिस्तान का बहिष्कार करने से आतंकवाद बंद नहीं होगा. पर भावना भी तो कोई चीज़ है. आप ऐसे हालातों में पकिस्तान से क्रिकेट, व्यापार आदि के बारे में नहीं सोच सकते, जब आप जानते हैं कि वह सीमा पर हमारे जवानो पर हमला कर रहा है.

सेना है सर्वोपरि:

उन्होंने लिखा कि भारत-पाकिस्तान का यह संघर्ष सेना का निजी संघर्ष नहीं है बल्कि पूरे देश का मामला है जिसमे पूरे देश को एक साथ भाग लेना चाहिए. कोई भी जवान सीमा पर मरता है या मारता है तो वह हमारी व देश की सुरक्षा के लिए ऐसा करता है. अपने निजी कारणों के लिए नहीं.

इसके साथ ही उन्होंने देश से सवाल पूछते हुए लिखा कि मान लीजिये एक जवान भी महेश भट्ट व करन जौहर की तरह सोचे और सीमा पार जाकर दुश्मनों से हाथ मिला ले तो देश का क्या होगा ?

उन्होंने लिखा कि एक जवान जब लड़ता है तो वह केवल अपने देश के व उसमे रहने वाले लोगों के बारे में सोचता है. देशभक्ति करना सिर्फ उसका ज़िम्मा नहीं है. यह देश जितना महेश भट्ट और बाकी लोगो का है उतना ही उसका भी है. वह चाहे तो आराम से अपना जीवन यापन करे उसे क्या जरूरत है देश के लिए लड़ने की.

इसके साथ ही कुछ देशो का उदहारण देते हुए उन्होंने लिखा कि यूएस ने मास्को ओलंपिक्स का सन 1980 में बहिष्कार किया था. साथ ही रूस ने लौस अन्जेलेस में सन 1984 में हुए ओलंपिक्स का भी बहिष्कार किया था.

आतंकवाद के खिलाफ सेना लड़ती रही है:

70 सालों से भारत आतंकवाद झेल रहा है जिसमे ना जाने कितने जवान और मासूम लोग मारे गये है. फिर भी हम इतने ह्रदयहीन हो जाएँ कि पकिस्तान का बहिष्कार ना करे तो क्या यह गलत नहीं है.

उन्होंने लिखा कि उरी हमले में शहीद हुए 18 जवानो के परिवार बिखर चुके हैं परंतु एक भी ट्वीट नहीं लिखा गया पर फवाद खान का जाना बॉलीवुड को इतना दुख दे रहा है कि वे इसका विरोध कर रहे हैं.

मेजर गौरव ने लिखा कि ये निर्देशक क्या सोचते हैं कि राहत फ़तेह अली खान से पहले देश में गायक नहीं थे या भारत पकिस्तान का मैच एक विधवा और उसके रोते बच्चे से ज्यादा जरूरी है.

इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि शान्ति की मांग तब करना जब आप सीमा से कोसों दूर हों साथ ही जब आपको यह सोचना हो कि किस पार्टी में जाया जाए और कहाँ से वित्त इक्कठा किया जाए तो यह मांग आपको शोभा नहीं देती.

शान्ति एक पंच लाइन नहीं है, यह एक युद्ध का आखरी निर्णय है.

इसके साथ ही उन्होंने एक 10 साल की बच्ची अदिति के बारे में लिखा जो देश के प्रति महेश भट्ट व करन जौहर से ज्यादा ज़िम्मेदार है. अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए सेना को पूरी तरह समर्थन दे रही है.

अपने पत्र के अंत में उन्होंने लिखा कि यह निर्णय मै आप पर छोड़ता हूँ कि नन्ही पारी अदिति सही है या महेश भट्ट व कारण जौहर.

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