भारत को सामाजिक परम्पराओं का देश कहा जाता है। यहां रहने वाले लोग अपनी जिन्‍दगी में धर्म को बहुत ज्‍यादा महत्‍व देते हैं। यहां धार्मिक रूप से तमाम ऐसी परम्पराएं हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। ऐसी ही एक परम्‍परा है जिसके अनुसार भारत के कुछ मंदिर ऐसे है जिसमें महिलाओं को प्रवेश करने की मनाही है। जिन म‍ंदिरों मे महिलाओं का प्रवेश वर्जित है उनमें से ही एक मंदिर केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर है। परम्‍पराओं के अनुसार इस मदिंर में मासिक धर्म की आयू वर्ग की महिलाओं को मंदिर के अन्‍दर प्रवेश करने से रोका गया है। इसी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाये हैं।sabrimala temple

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर ट्रस्‍ट से कहा कि इस ऐतिहासिक मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार पर संविधान के आधार पर फैसला होगा,ना कि परम्‍पराओं के आधार पर। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि मंदिर में पूजा-अर्जना करने के लिए महिलाओं पर पांबदी लगाने के लिए मंदिर के पास क्‍या अधिकार है क्‍या परम्‍पराएं संविधान से ऊपर हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर कड़ा रूख इख्तियार करते हुए कहा कि अगर 30 लाख लोग भी कहेंगे कि महिलाओं पर पांबदी सही है तो भी हम सविंधान को ही देंखेगे। भारत के संविधान से ऊपर कोई भी सामाजिक परम्‍परा नहीं हो सकती।

कोर्ट की यह टिप्‍पणी उस याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए आई जिसमें सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश की अनुमति मांगी गयी थी।

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