सुप्रीम कोर्ट ने आज नाबालिगों के साथ रेप के मामलों पर उच्च न्यायालयों को दिशा नर्देश जारी किये. केंद्र सरकार के 12 साल तक कि बच्चियों के साथ रेप की घटना में फांसी की सज़ा का प्रावधान किए जाने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामलों का तेजी से निपटारे के लिए दिशा निर्देश दिए.

HC बनाए 3 जजों की कमेटी:

केंद्र सरकार द्वारा नाबालिगों के साथ यौन उत्पीड़न के केस में फांसी की सज़ा के प्रावधान के बाद एससी ने आज इस मामले में सुनवाई कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्यों के हाईकोर्ट के लिए मामले के निपटारे सम्बन्धी दिशा निर्देश जारी किये. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों पर निगरानी रखने के लिए हाईकोर्ट चाहें तो तीन जजों की समिति का गठन कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश:

– हाईकोर्ट चाहें तो बच्चों से यौन हिंसा से संबंधित मुकदमों की सुनवाई की निगरानी के लिए तीन जजों की समिति बना दें.

– हाईकोर्ट को पोक्सो कानून के तहत लंबित मामलों में अनावश्यक सुनवाई स्थगित नहीं करने का निर्देश दिया जाए.

-विशेष अदालतों द्वारा बच्चों से यौन हिंसा के मुकदमों की सुनवाई तेजी से करके उनका फैसला करें.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह दिशानिर्देश जारी किए। उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सुभाष प्लेस में आठ माह की बच्ची के साथ 28 जनवरी को दुष्कर्म की घटना के बाद दाखिल पीआईएल में पॉक्सो एक्ट के तहत छह माह में ट्रायल पूरा करने और दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की थी।

 

बता दे कि भारत में लगातार नाबालिगों के साथ बढ़ती दुष्कर्म की घटना के बाद केंद्र सरकार ने POCSO एक्ट में संसोधन करते हुए आरोपियों को फांसी की सज़ा का प्रावधान किया है.

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