हमारे देश में गर्भपात को कानूनन अपराध माना गया है गया है। ऐसे में कई बार इसका खामियाजा उन महिलाओं को भी भुगतना पड़ता है जिन्हे कोई समस्या होती है और वो बच्चे को जनम देने में असमर्थ होती हैं। इन समस्याओं को देखते हुए नई दिल्ली की सुप्रीम कोर्ट ने 26 हफ्ते तक की गर्भवती को एबॉशन की इजाजत दे दी है।

यह भी पढ़ेसंवेदनशीलता से निपटाए गोमांस के मुद्दों को

कोलकाता की रहनी वाली है गर्भवती

  • सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट महिला को एबॉशन की इजाजत दी है।
  • आपको बता दें की कानूनन 20 हफ्ते के बाद एबॉशन को गैर-कानूनी माना जाता है।
  • और ऐसा करने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने जिस महिला को ये इजाजत दी है वो कोलकाता की रहने वाली है।
  • मेडिकल रिपोर्ट्स में बच्चे को हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारी होने की जानकारी हुई थी।
  • उसके बाद अस्पताल के चक्कर काटने के बाद महिला और उसके पति ने अबॉर्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी।
  • रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगर महिला को प्रेग्नेंसी खत्म करने की इजाजत नहीं दी गई।
  • तो ये उसके लिए मानसिक प्रताड़ना से काम नहीं होगा।
  • जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एम खानविलकर की बेंच ने कहा कि अबॉर्शन की प्रॉसेस कराये।
  • यदि ऐसा नहीं किया गया तो कई बार डिलिवरी के बाद बच्चा जिंदा तो रहता है।
  • लेकिन उसकी भविष्य में हार्ट की सर्जरी करनी पद सकती है।
  • जानकारी के मुताबिक बीती 23 जून को पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक आदेश दिया था।
  • जिसमे पश्चिम बंगाल सरकार को 7 मेंबर्स का मेडिकल बोर्ड बनाने।
  • और प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट तैयार कर पेश करने का ऑर्डर दिया।
  • तब महिला 24  हफ्ते की प्रेग्नेंट थी।
  • उसके बाद 25 जून को जांच में बच्चे को गंभीर बीमारी होने की बात पता चला।
  • इसे कंफर्म करने के लिए 30 मई को दोबार ईसीजी कराया गया।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें