सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों के खिलाफ एक कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट का कहना है कि किसी भी खाप पंचायत को ये अधिकार नहीं कि वो बालिग जोड़े को प्रेम विवाह करने से रोके। प्रेम विवाह करने वालों के खिलाफ खाप का फरमान पूरी तरह से गैरकानूनी माना जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से खाप पंचायतों को बैन करने का भी आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में खाप पंचायतों के खिलाफ दायर की गई पिटीशन

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बालिग लड़का या लड़की मर्जी से शादी कर सकते हैं। इसमें कोई पंचायत, खाप पंचायत, पैरेंट्स, सोसायटी या किसी शख्स को भी इस पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं। कोर्ट के मुताबिक सरकार के खाप पंचायतों पर बैन न लगाने पर कोर्ट एक्शन लेगा। खाप पंचायतों के खिलाफ दायर की गई एक पिटीशन पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह निर्देश दिया है। एएम खानविलकर के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी इस बंच में शामिल हैं। उनका कहना है कि खाप पंचायत की ओर से किया गया कोई हमला या सामाजिक बहिष्कार गैरकानूनी होगा।

पंचायतों को नहीं है ये अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दुबारा याद दिलाया कि यह मामला 2010 से अब तक पेंडिंग चल रहा है। चीफ जस्टिस ने एडीशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद से पूछा कि उनकी ओर से इस मामले में अभी तक कोई सलाह पेश क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी खाप पंचायतों को किसी बालिग लड़के या लड़की को उनकी मर्जी से शादी करने पर समन जारी करने और सजा देने का हक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने की याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने शक्तिवाहिनी संगठन की याचिका पर सुनवाई की शुरुवात कर दी है, जिसमें ऑनर किंलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग की जा रही है। केस की अगली सुनवाई 5 फरवरी को की जाएगी।

 एमिकल क्यूरी ने कहा- सरकार का रवैया है ढीला

इस मामले पर एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) रामचंद्रन का कहना है कि लॉ कमीशन ने इंटर कास्ट मैरिज करने वाले जोड़े की हिफाजत के लिए कानून बनाने की सिफारिश की थी। इस फैसले पर राज्य सरकारों से सलाह ली जा चुकी है। बावजूद इसके सरकार का रवैया काफी ढीला नज़र आ रहा है।  चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार अगर ऐसे जोड़ों की हिफाजत के लिए कानून नहीं बनाती है तो कोर्ट नियम बनाएगा और इसकी गाइडलाइन तय करेगा।

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