उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की तन्वी सेठ से जुड़े पासपोर्ट विवाद में हुई कार्रवाई के बाद कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। पासपोर्ट विवाद को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लोगों ने ट्रोल किया। यहां तक कि ट्विटर पर उन्हें अनफॉलो और उनके फेसबुक पेज की रेटिंग घटाने की मुहिम भी चली। सोशल मीडिया पर जब यह मुहिम चल रही थी, तब सुषमा स्वराज विदेश दौरे पर थीं। लौटने के बाद उन्होंने पासपोर्ट विवाद पर ट्वीट के जरिए अपना पक्ष रखा।

24 जून को किए ट्वीट में बोलीं-“मैं 17 से 23 जून 2018 के दरमियान भारत से बाहर थी। मेरी अनुपस्थिति में क्या हुआ, इसकी मुझे जानकारी नहीं हुई।” इसके बाद विदेश मंत्री ने कुछ ट्रोलर्स के ट्वीट भी रिट्वीट कर बताया कि किस तरह से उन्हें इस विवाद में घसीटने की कोशिश हुई। एक प्रकार से विदेश मंत्री ने इस ट्वीट के जरिए पासपोर्ट विवाद से खुद को अलग-थलग कर लिया। उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि न तो उनके निर्देश पर तन्वी सेठ को पासपोर्ट जारी हुआ और न ही अधिकारी विकास मिश्रा का ट्रांसफर हुआ। लिहाजा उन्हें बेवजह निशाना बनाया गया।

सुषमा के इस ट्वीट के बाद हर किसी के जेहन में सवाल कौंधने लगा कि अगर विदेश मंत्री के स्तर से यह कार्रवाई नहीं हुई तो फिर किसके स्तर से हुई। आखिर कैसे विवाद के बाद तन्वी सेठ को तत्काल हाथों हाथ पासपोर्ट जारी हुआ और पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा का लखनऊ से गोरखपुर तबादला। यह जानने के लिए हमने पासपोर्ट विवाद शुरू होने से लेकर एक्शन तक के पूरे घटनाक्रम की कड़ियों की पड़ताल शुरू की। इसमें कई प्रकार के ट्विस्ट निकल कर सामने आये, पेश है एक रिपोर्ट…

19 जून को तन्वी सेठ नए पासपोर्ट के लिए तो उनके पति अनस पुराने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए लखनऊ पासपोर्ट ऑफिस गए थे। जहां पासपोर्ट अफसर विकास मिश्रा ने तन्वी सेठ से आवेदन और निकाहनामे में हिंदू-मुस्लिम अलग नामों को लेकर उनसे पूछताछ की, इस दौरान दोनों पक्षों के बीच बहस हो गई। जिसके बाद तन्वी ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया। कहा कि उनके पति अनस को अधिकारी ने धर्म बदलने की सलाह दी। हमारी पड़ताल में पता चला कि उनके ट्वीट को सुषमा स्वराज ने भले सीधे तौर पर नहीं मगर विदेश मंत्रालय के दो अफसरों ने इसे जरूर संज्ञान में लिया था।

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घटना वाले दिन तन्वी के ट्वीट और उस पर कई स्तर से हुए रिप्लाइ और रिट्वीट की छानबीन से पता चला कि इसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अतिरिक्त निजी सचिव विजय पी. द्विवेदी और पासपोर्ट सर्विस देखने वाले मंत्रालय के सचिव आइएफएस अफसर D.M मुले की भूमिका रही। तन्वी के ट्वीट पर साउथ ब्लॉक वाले मंत्रालय के दफ्तर से जवाब देने वाले सबसे पहले शख्स सुषमा के निजी सचिव विजय द्विवेदी ही रहे। तन्वी के ट्वीट पर सबसे पहले उन्होने प्रतिक्रिया व्यक्त की, उनके ट्वीट की टाइमिंग 1:42 am (20 जून) रही। यानी 19 जून की देर रात ही सुषमा के निजी सचिव विजय ने पासपोर्ट सेवा देखने वाले मंत्रालय के सेक्रेटरी (CPV&OIA) को मामले को देखने के लिए कह दिया था।

करीब साढ़े सात घंटे बाद यानी 20 जून की सुबह इस ट्वीट पर जब सेक्रेटरी, पासपोर्ट, वीजा (CPV) डी.एम मुले की नजर पड़ी तो उन्होंने नौ बजकर 25 मिनट पर क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल @rpolucknow को टैग कर रिपोर्ट मांगी। फिर 11 मिनट बाद 9:36 मिनट पर मुले ने एक और ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने तन्वी अनस से खेद जताते हुए मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। कहा कि उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट मांगी है। यहां बता दें कि यह मामला मीडिया की सुर्खियों में तब आया, जब सुबह छह बजे लखनऊ के अंग्रेजी अखबार की रिपोर्टर यसरा हुसैन ने सुबह छह बजकर 26 मिनट पर ही तन्वी को ट्वीट कर पूछा-मैं आप तक कैसे पहुंच सकती हूं?

मतलब रिपोर्टर इस खबर तक पहुंचने के लिए यसरा हुसैन तन्वी से संपर्क हासिल करना चाह रहीं थीं। कुछ ही देर बाद हिंदू-मुस्लिम एंगल होने के कारण मामला आग की तरह फैल गया। 19 जून की देर रात से 20 जून की सुबह तक हुए तन्वी सेठ और विदेश मंत्रालय के दोनों अफसरों के बीच संदेशों के आदान-प्रदान में ही इस विवाद में अफसर के खिलाफ एक्शन के संकेत मिलते हैं। बताया जा रहा कि विदेश मंत्रालय में सेक्रेटरी पासपोर्ट एंड वीजा के हस्तक्षेप के कारण ही तन्वी को बगैर जांचे-परखे पासपोर्ट मिला और मामले को तूल पकड़ने से रोकने के लिए अफसर का तत्काल ट्रांसफर हुआ।

जबकि एलआइयू की रिपोर्ट में पता चला कि तन्वी एक साल से लखनऊ वाले पते पर रहतीं ही नहीं। ऐसे में दबाव में अफसरों के आकर पासपोर्ट जारी करने पर सवाल उठने शुरू हुए। अब सवाल उठता है कि क्या पर्सनल सेक्रेटरी ने सुषमा स्वराज के आदेश के बाद ट्वीट पर सेक्रेटरी पासपोर्ट सर्विस को कार्रवाई को कहा था या फिर अपने स्तर से। हालांकि सुषमा के पर्सनल सेक्रेटरी ने ट्वीट में विदेश मंत्री को टैग जरूर किया था। पासपोर्ट का ये मामला राष्ट्रीय स्तर पर खूब गरमाया।

पासपोर्ट मामले में तन्वी सेठ और उनके पति अनस सिद्दीकी अब फंसते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पासपोर्ट जारी किए जाने के विषय में पुलिस ने जो वेरिफिकेशन रिपोर्ट पेश की है, उसकी जांच की जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘तन्वी सेठ से जुड़ी पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट मिल गई है। हम रिपोर्ट की जांच कर रहे हैं। हमारे पासपोर्ट अधिकारियों के पास पासपोर्ट कानून के तहत उचित कार्रवाई करने के अधिकार हैं।’ इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी रिपेार्ट में कहा है कि तन्वी पिछले एक साल से लखनऊ में नहीं रह रही हैं। रीजनल पासपोर्ट ऑफिस को भेजी गई पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के मुताबिक वह नोएडा में रह रही हैं।

तन्वी सेठ उर्फ सादिया अनस सिद्दीकी को एक घंटे में पासपोर्ट जारी करने वाला क्षेत्रीय पासपोर्ट दफ्तर अब नोटिस भेजने में लेटलतीफी कर रहा है। बिना जांच पासपोर्ट जारी हो गया और पिछले तीन दिनों से पुलिस की रिपोर्ट पर परीक्षण हो रहा है। गुरुवार को भी क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से पुलिस की ‘एडवर्स रिपोर्ट आने के बाद भी नोटिस जारी नहीं किया गया।

पासपोर्ट अधिकारी पियूष वर्मा के मुताबिक फिलहाल पुलिस की रिपोर्ट पर परीक्षण चल रहा है। पियूष वर्मा एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद दिल्ली से लौटे हैं। एक रिटायर्ड उप पासपोर्ट अधिकारी के अनुसार नियम कहते हैं कि पुलिस की रिपोर्ट पर ऐसे मामले में तत्काल पासपोर्ट दफ्तर से नोटिस जारी किया जाना चाहिए था। यदि पासपोर्ट अधिकारी बाहर गए थे तो उनकी अनुपस्थिति में उप पासपोर्ट अधिकारी अवनीश रस्तोगी को यह कार्य करना था। इस मामले में पासपोर्ट दफ्तर की भूमिका किसी को समझ में नहीं आ रही है।

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