वर्ल्ड गिर्ल्स डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्या भ्रूणहत्या पर प्रहार करते हुए  लखनऊ के रामलीला में कहा था कि अपने अंदर का रावण मारिए और घर में पैदा होने वाली सीता को बचाइए। मगर लगता है प्रधानमंत्री की इस बात से उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई सीख नही ली है ।आप को बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार को भ्रूण हत्या रोकने के लिए जो धन आवंटित किया गया था उस धन का आधा हिस्सा भी यूपी सरकार ने भ्रूण हत्या रोकने के लिए इस्तेमाल नही किया है ।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षण ‘CAG’  की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

  • उत्तर प्रदेश भारत का सब से ज्यादा वाला राज्य है।
  • आकड़े बताते रहे हैं कि प्रदेश में 0-6 साल के बच्चे के लिंगानुपात में बहुत तीजी से गिरावट आ रही है।
  • आकड़ों के अनुसार 1981 में 1000 बच्चे के अनुपात में कन्या का जो अनुपात 935 था।
  • वो अब गिरते गिरते साल 2015 में मात्र 833 रह गया है जो कि चिंता का विषय है ।

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  • गौरतलब है कि साल 2001 से ही लिंगानुपात में सबसे ज्यादा तेज़ गिरावट दर्ज कि गई है।
  • इससे ये बात सामने निकल कर आ रही है कि प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या बेरोकटोक जारी है ।
  • आप को बता दें कि साल 2010 से 2015 के बीच यूपी भारत के सबसे कम लिंगानुपात वाले 10 राज्यों में से एक है।
  • CAG की रिपोर्ट में बताया गया कि लिंग के आधार पर गर्भपात रोकने के लिए।
  • यूपी को 20 करो 26 लाख रूपये कि ज़रूरत थी।
  • इसके लिये केंद्र सरकार ने उसे इस राशि कि 35 फीसद राशि जो कि लगभग 7 करोड़ 9 लाख था आवंटी की।
  • लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक इस राशि मात्र 54 फीसद हिस्सा जो कि 3 करोड़ 86 लाख है इस्तेमाल किया है ।
  • जो कि अपनी मांगी गई राशि 20 करो 26 लाख रूपये का मात्र 20 प्रतिशत है ।

उत्तर प्रदेश शासन कि लापरवाई भी सामने आई है

  • लेखा परीक्षा के एक रिपोर्ट द्वारा सरकार की लापरवाई और कमियों को इस प्रकार भी देखा जा सकता है।
  • नैदानिक केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासोनोग्राफी के दौरान ली गई तस्वीरों का कोई रिकॉर्ड नही रख जाता है।
  •  जब के ये रिकॉर्ड पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहेत बहुत ज़रूरी हैं ।

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  • एक निरीक्षण में यहाँ तक पाया गया के 68 फीसद महिलाओं के पास अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर का रेफरल पर्चा तक नही था ।
  • लापरवाई के चलते शिकयात पर DM द्वारा 936 केन्द्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया ।
  • लेकिन इनमे से किसी पर न तो कोई जुर्माना लगाया गया न ही कोई करवाई कि गई ।
  • लिंगानुपात में आई इस असमानता को रोक पाने में प्रदेश सरकार नाकाम साबित हो रही है।
  • अगर सरकार अब भी अपनी इस अयोग्यता के नही दूर करती।
  • तो आगे भविष्य में भी लिंगअनुपात असमानता में कोई सुधार कि उम्मीद नहीं रह जायेगी ।

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