उत्तर प्रदेश के फैजाबाद के गुमनामी बाबा को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस माना जाता है। हालाँकि इतिहास के मुताबिक नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हवाई दुर्घटना में हुई थी। यह घटना संदेहास्पद थी जिस कारण नेताजी के अनुयायी इसे कभी स्वीकार न कर सके। गुमनामी बाबा की मौत के बाद लोगों ने ज़ाहिर किया की वही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस थे। जिस सन्दर्भ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुमनामी बाबा के सामान में मौजूद बक्सों को खुलवाने का आदेश दिया था।

Gumnami Baba Netaji Subhash Chandra Bose

मिला आजाद हिन्द फ़ौज का यूनिफार्म:

  • गुमनामी बाबा के 32 बक्सों और झोलों में कुल 176 आइटम हैं।
  • जिसमे से सिर्फ 11 बक्से और एक झोला खोला गया है।
  • बक्से से एक चश्मा मिला है। ये चश्मा गोल फ्रेम का है और ठीक वैसा ही है, जैसा नेताजी पहनते थे।
  • एक रोलेक्स घड़ी मिली है। ऐसी घड़ी नेताजी अपनी जेब में रखते थे।
  • कुछ लेटर मिले हैं, जो नेताजी की फैमिली मेंबर ने लिखे हैं। कुछ न्यूज पेपर कटिंग मिली हैं, जिनमें नेताजी से संबंधित खबरें हैं।
  • आजाद हिंद फौज का यूनिफॉर्म मिला है।
  • झोले में बांग्ला और अंग्रेजी में लिखी 8-10 लिटरेचर की किताबें मिली हैं। मंत्र जाप की कुछ मालाएं भी हैं।
  • बक्से से सिगरेट, पाइप, कालीजी की फ्रेम की गई तस्‍वीर, रुद्राक्ष के कुछ मालाएं भी मिली हैं।
  • नेताजी की भतीजी ललिता बोस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मंच ने दो अलग-अलग रिट दायर कर सामान को पब्लिक करने की मांग की है।

 

बक्से का अन्य सामान:

  • नेताजी के माता-पिता और परिवार की तस्वीरें मिलीं। कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी जन्मदिन की तस्वीरें भी हैं।
  • 1974 में कोलकाता के डेली ‘आनंद बाजार पत्रिका’ में 24 किस्तों में छपी खबर ‘ताइहोकू विमान दुर्घटना एक बनी हुई कहानी’ की कटिंग्स।
  • जर्मन, अंग्रेजी और जापानी लिटरेचर की किताबें।
  • इंडो-चाइना वॉर की किताबें, जिनके पेजों पर कमेंट लिखे गए हैं।
  • नेताजी की मौत की जांच पर बने शाहनवाज और खोसला कमीशन की रिपोर्ट। सैकड़ों टेलीग्राम, जिन्हें गुमनामी बाबा के नाम पर भेजा गया था।
  • हाथ से बने हुए मैप, उस जगह को दिखाते हुए, जहाँ नेताजी का प्लेन क्रेश हुआ था।
  • आजाद हिंद फौज की इंटेलिजेंस यूनिट के चीफ पवित्र मोहन रॉय के लिखे गए बधाई सन्देश।
  • गुमनामी बाबा के सारे सामान की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी बनायी जाएगी, जिसके बाद उनकी इन्वेंट्री बनायी जायेगी।

एक कमेटी द्व्रारा इन सामानों को टेस्ट किया जायेगा, जिसके बाद फिर इन्हें अयोध्या में बने इंटरनेशनल रामकथा म्यूजियम में रख दिया जायेगा।

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