कहते हैं प्रतिभा को कोई रोक नहीं सकता है ना ही कोई इसे परिस्थियों में बाँध सकता है. इस बात का सीधा उदाहरण राजधानी दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाली उम्मुल खेर हैं जो बोन डिसऑर्डर जैसी बीमारी झेलने के बाद भी आज देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC को पास कर लिया है.
माता-पिता ने 14 वर्ष की आयु में तोड़ा था नाता :
- राजस्थान से ताल्लुख रखने वाली उम्मुल खेर जब कक्षा पांच में थी तब वे दिल्ली आई थीं.
- बता दें कि उम्मुल के पिता ने हज़रात निजामुद्दीन के पास सड़क पर कपड़े बेचने का काम शुरू किया था.
- गौरतलब है कि उम्मुल जब 14 वर्ष की थी तब उनके परिवार ने उनसे नाता तोड़ दिया था.
- ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण था उम्मुल की आंठ्वी के बाद भी अपनी शिक्षा को जारी रखने की इच्छा.
- जिसके चलते उनके माता-पिता द्वारा उन्हें अकेले अपनी बीमारी के जूझने के लिए छोड़ दिया था.
- उन्होंने दिल्ली में ही एक झुग्गी किराये पर लेकर बच्चों को पढ़ाया जिससे वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकीं.
- बता दें कि उम्मुल शुरू से ही एक प्रतिभाशाली छात्रा रही हैं जिसके चलते उन्होंने वो कर दिखाया जो कोई सोच भी नहीं सकता.
- अपनी मेरिट के बल पर उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला.
- जिसके बाद उन्होंने JNU यूनिवर्सिटी में अपनी स्नातकोत्तर के लिए दाखिला लिया था.
- अपनी पढ़ाई के बीच उन्होंने अब UPSC के पहले ही प्रयास में इसे पास कर लिया है.
- पूरे देश में उनकी 420 रैंक है जो विकलांगता कोटा के अंतर्गत है.
- जिसके बाद अब वे एक IAS अधिकारी बनने की तैयारी में हैं और इसके लिए तैयारी कर रही हैं.
- आपको बता दें कि उम्मुल को बोन डिसऑर्डर की बीमारी हैं जिसके चलते उनके 16 फ्रैक्चर हो चुके हैं.
- यही नहीं इस दौरान उनकी आठ बार सर्जरी भी हो चुकी है फिर भी उनके जज्बे में कमी नहीं आई है.
- यही नहीं उम्मुल ने जूनियर रिसर्च फेलोशिप को भी पास कर लिया है,
- जिसके बाद अब उन्हें 25,000 रूपये प्रतिमाह मिल रहे हैं.
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