आज जिस तरह से भारत को एक सूत्र में पिरोये रखने की आवश्यकता महसूस हुई है, जरूरी है कि हम एक बार उस महान बलिदान एवं अटूट देशभक्ति की भावना से देश के युवाओं को परिचित करायें, जिनके त्याग और बलिदान से राष्ट्र स्वाधीनता के सुनहरे स्वप्न को पूरा कर सका। जानिए कुछ ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानियों को, उनके संघर्ष और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण कोः-

1) उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले में जन्में श्यामलाल गुप्त पार्षद हिंदुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के समर्पित सेनानियों में एक है। श्यामलाल गुप्त आठ बार में कुल छ: वर्षों तक राजनैतिक बन्दी रहे। उन्होने ‘नमक आन्दोलन’ तथा ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का प्रमुख संचालन किया, तथा लगभग 19 वर्षों तक फतेहपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वाह भ किया। राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत सुप्रसिद्ध गीत “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा” पार्षद जी की ही रचना है।

shyamlal gupt

2) बम्बई में एक पारसी परिवार में जन्मीं श्रीमती भीखाजी जी रूस्तम कामा (मैडम कामा) का पेरिस से प्रकाशित “वन्देमातरम्” पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ। उन्होने लन्दन, अमेरिका और जर्मनी का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया।  उन्होंने कहा- ‘‘आगे बढ़ो, हम हिन्दुस्तानी हैं और हिन्दुस्तान हिन्दुस्तानियों का है।’’ यही नहीं मैडम भीकाजी कामा ने कांफ्रेंस में ‘वन्देमातरम्’ अंकित भारतीय ध्वज फहरा कर अंग्रेजों के सामने चुनौती पेश की।

bhikaji kama

3) पंजाब प्रान्त के एक सम्पन्न हिन्दू परिवार में जन्मे मदनलाल धींगड़ा ने परिवार की इच्छा के विरूद्ध जाकर स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान दिया। उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। जिसके लिए ब्रिटिश अदालत ने उन्हें मृत्युदण्ड की सजा दी और 17 अगस्त 1909 को लन्दन की पेंटविले जेल में फाँसी के फन्दे पर लटका दिया।

madanlal dhingda

4) विनायक दामोदर सावरकर प्रखर राष्ट्रवादी नेता और भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के नायक थे। उन्हें महान क्रान्तिकारी, सिद्धहस्त लेखक, चिन्तक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता के रूप में जाना जाता है। वह गांधी जी की अहिंसा की नीति में विशवास नही रखते थे, उनका मत था कि कोई ऐसी सेना होनी चाहिए जो अंग्रजों के साम्राज्य को उखाड़ फेके। नासिक षडयंत्र काण्ड के लिए वीर सावरकर जी को  काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा गया।

vinayak damodar savarkar

5) उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले में हुआ था। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे  माइकल ओ’ ड्वायर को लन्दन में जाकर गोली मारी थी। जिसके लिए 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।

udham singh

6) जतींद्र नाथ मुखर्जी अत्यन्त साहसी क्रान्तीकारी थे। युवावस्था में उनकी मुठभेड़ एक बाघ से हो गयी। जिसके बाद वह “बाघा जतीन” नाम से विख्यात हो गए थे।  ‘हावड़ा षडयंत्र केस’ में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें साल भर में रहना पड़ा। जेल से मुक्त होने पर वह ‘अनुशीलन समिति’ के सक्रिय सदस्य बन गए और ‘युगान्तर’ का कार्य संभालने लगे। वे युगान्तर पार्टी के मुख्य नेता थे। 35 वर्ष की आयु में हुई गोलीबारी की घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

jitendranath mukharji

7) नेता जी द्वारा बनाया गये तीन युवा क्रांतिकारी दिनेश चन्द्र गुप्त, विनय बसु और बादल गुप्ता के समूह ने 8 दिसंबर 1930 को यूरोपियन लिबास में कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश किया और जेलों में भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले इन्स्पेक्टर जनरल ऑफ़ प्रिजन एन.एस. सिप्सन को मार गिराया।

three heros

8) असम में जन्मी कनकलता बरूआ भारत की एक साहसी वीरांगना थी। 20 सितंबर, 1942 ई. में एक गुप्त सभा में तेजपुर की कचहरी पर तिरंगा झंडा फहराने का निर्णय लिया गया था। जिसमें कनकलता एक दल का नेतृत्व कर रहीं थी। तिरंगा फहराने आई हुई भीड़ पर गोलियाँ दागी गईं और यहीं पर कनकलता बरुआ ने शहादत पाई।

kalaklata barua

9) रानी चेनम्मा, कित्तूर राज्य की रानी थीं। भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने वाले सबसे पहले शासकों में उनका नाम लिया जाता है। उन्होने अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया, जिसमें पराजित होने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

rani chenamma

10) सरदार गौथू लतचन्ना एक लोकप्रिय जननेता थे। 23 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने निचली जाति के लोगों के उत्थान के लिए अथक काम किया। उन्होंने जीवन के अन्तिम समय तक लोगों के हितों के लिए कार्य किया।

sardar gauthu latchanna

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