भोपाल एनकाउंटर अपने पीछे कई सवाल उठा रहा है लेकिन इन सबसे अलग एक सवाल है जो बहुतों की नजर में चुभ रहा है. ये सवाल है हेड कांस्टेबल रमाशंकर की मौत का सवाल! भोपाल एनकाउंटर पर एक वीडियो आने के बाद से एनकाउंटर को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं.

लेकिन जो बातें पुलिस और राज्य सरकारें कह रही हैं उसके आधार पर रमाशंकर की हत्या जेल प्रशासन की भारी लापरवाही का नतीजा है. अब जबकि इसपर कोई बड़ा कदम उठाते नही दिख रही है सरकार तो ये लाजिमी है कि सवाल पूछे जायेंगे. ये सवाल इसलिए जायज हैं क्योंकि मामला एक पुलिसकर्मी के शहीद होने का है. ये सवाल इसलिए भी जायज है क्योंकि जिन जेलों में खतरनाक आतंकियों को रखा जाता है, वहां कि सुरक्षा व्यवस्था कैसी है. इस सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को दुरुस्त करने की जरूरतों ने बड़ी बहस छेड़ दी है.

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जेल प्रशासन क्यों निष्क्रिय था:

  • जेल प्रशासन को ये पता था कि सिमी के आतंकी बड़ी वारदात करने वाले हैं।
  • जेल की पुलिस ऐसे खतरनाक आतंकियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम क्यों नही कर पायी।
  • अगर इनका एनकाउंटर नहीं होता तो आज मध्य प्रदेश पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की हालत बुरी होती।
  • आतंकियों के भाग जाने से पुरे प्रदेश में दशहत फ़ैल जाती।
  • पुलिस के अनुसार, उनके पास देसी बंदूकें थीं।
  • मगर एनकाउंटर में जो तीन सिपाही घायल हुए हैं वो धारदार हथियार से घायल हुए हैं।
  • धारदार हथियार से बहुत नजदीक से हमला किया गया होगा।
  • ये ऐसे बयान हैं जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।

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एनकाउंटर फर्जी है या सही इसको लेकर चर्चाएँ अलग है. लेकिन रमाशंकर यादव की मौत से क्या कुछ सामने आया है, इसपर गौर करना जरुरी है.

किसकी लापरवाही का नतीजा है रमाशंकर यादव की मौत?

  • रमाशंकर के शरीर पर चोट के निशान बताते हैं कि उन्होंने आतंकियों को रोकने का प्रयास किया होगा।
  • आतंकियों और रमाशंकर के बीच संघर्ष हुआ था।
  • ऐसे में कोई और पुलिसकर्मी उनकी सहायता के लिए क्यों नही पहुंच पाया?
  • जब आतंकियों के साथ रमाशंकर लड़ रहे थे तब अन्य सुरक्षाकर्मी कहाँ गायब थे?
  • दिवाली की रात हुई घटना के वक्त क्या सारे सुरक्षाकर्मी वहां से नदारद थे?
  • कितने सुर्काशाकर्मी मौजूद थे इसके बारे में जेल प्रशासन की चुप्पी संदेह के घेरे में है।
  • शायद रमाशंकर की जान बच जाती।
  • रमाशंकर के बेटे ने कहा है कि उनके पिता की हत्या की जांच होनी चाहिए।

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इस लापरवाही का जिम्मेदार जेल प्रशासन ही है या कोई और. लेकिन बर्खास्तगी के अलावा किसी बड़ी कार्यवाई की तरफ अभी मामला बढ़ता नही दिख रहा है. सरकार खुलकर ये भी नहीं स्वीकार कर रही है कि जेल प्रशासन का सुरक्षा इंतजामों में लापरवाही ने रमाशंकर की जान ले ली. एनकाउंटर में आतंकियों के मारे जाने के बाद पुलिस ने रमाशंकर की मौत का शायद बदला भी ले लिया। लेकिन सही मायने में उन चेहरों की पहचान होनी चाहिए जो जेल में इस प्रकार की अनियमितता का खेल खेल रहे है।

 

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