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अगले साल जुलाई में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है. देश को इसके बाद राष्ट्रपति के रूप में नया चेहरा मिलेगा. आमतौर पहले उपराष्ट्रपति को ही राष्ट्रपति चुनने का दौर चलता था. फिर ये क्रम टूटने के बाद नए चेहरे को मौका मिला. सियासत के गलियारे में प्रणब मुखर्जी के दुबारा चुने जाने की भी चर्चा है. लेकिन अभी ये संभव नही दिख रहा है. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के राष्ट्रपति चुने जाने को लेकर भी विवाद है. ऐसे में इस होड़ में कई चेहरे शामिल हैं. लेकिन इस बीच यूपी चुनाव भी राष्ट्रपति के चेहरे के लिहाज से अहम साबित होगा.

इन समीकरणों पर है नजर:

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मुलायम सिंह यादव की भी राष्ट्रपति पद पर है नजर:

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव यूपी की राजनीति में कोई नया चेहरा नहीं हैं. यूपी के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक का दायित्व सँभालने वाले मुलायम कद्दावर नेता हैं. यूपी में होने वाले आगामी चुनाव पर सभी की नजर है. यूपी चुनाव से पहले लगातार किये जा रहे सर्वे त्रिशंकु विधानसभा की ओर अग्रसर होता दिखाई दे रहा है.

  • भाजपा , सपा , बसपा और कांग्रेस किसी को भी पूर्ण बहुमत मिलता फ़िलहाल नही दिख रहा है.
  • हालाँकि चुनाव बहुत दूर है लेकिन समीकरण अभी से तैयार होने लगे हैं.
  • सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी कोशिशों में जुटी हैं.
  • पूर्व में भाजपा और बसपा ने मिलकर सरकार बनाई लेकिन ये सफल नही रहा.
  • अब दो समीकरण खुलकर सामने आ रहे हैं.
  • कांग्रेस और बसपा का गठबंधन एंव सपा और भाजपा का गठबंधन.
  • मुलायम सिंह के राष्ट्रपति पद पर नजर को देखते हुए दुसरे गठबंधन को नकारा नहीं जा सकता है.
  • कहते हैं कि राजनीति में कोई दुश्मन नही होता है.
  • ऐसे में गठबंधन की स्थिति में मुलायम को राष्ट्रपति पद के लिए नामित करने की शर्त रखी जा सकती है.
  • लेकिन ये तभी संभव है जब भाजपा भी सरकार बनाने में दिलचस्पी दिखाए.
  • मुलायम के पिछले कुछ महीनों में बदले नजरिये को देखते हुए भाजपा सपा के साथ जाने से परहेज नही करेगी.
  • ये सपा के लिए भी सुखद स्थिति होगी.
  • अब सपा प्रमुख का राष्ट्रपति बनने का सपना पूरी तरह यूपी चुनावों में सकारात्मक परिणाम आने पर निर्भर है.

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