उत्तर प्रदेश की विधानसभा का चुनावी दंगल शुरू हो चुका है, जिसके तहत सभी राजनीतिक दलों के राजनीतिक कुश्तीबाज अपना-अपना लंगोट कस चुके हैं।

इस बार के दंगल में खास:

वैसे तो उत्तर प्रदेश का चुनाव हमेशा ही मजेदार और दिलचस्प होता है, जहाँ चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की ओर से एक से बढ़कर एक जुमलेबाजी के दांव-पेंच देखने को मिलते हैं। लेकिन इस बार दंगल के इस महापर्व में सूबे की जनता के लिए और भी कुछ है।

विकास को मिला आरक्षण:

आज़ादी के सत्तर सालों तक तुष्टिकरण की राजनीति के चलते उत्तर प्रदेश की बहुत छीछालेदर हुई है। राजनीतिक दलों द्वारा अपने हितों को साधने के चक्कर में प्रदेश और उसकी जनता दोनों की ही अवहेलना की गयी है।उत्तर प्रदेश का चुनाव हमेशा से ही जाति और धर्म के आधार पर लड़ा जाता रहा है, लेकिन साल 2014 में आप चाहें तो लोकतंत्र की आंधी, बयार, हवा या लहर कुछ भी कह सकते हैं ने देश की बरसों पुरानी धर्म और जाति की राजनीति में विकास को आरक्षण दे दिया।

यूपी दंगल में विकास की धोबी पछाड़:

साल 2017 के विधानसभा दंगल में विकास का धोबी पछाड़ सभी की पसंद बना हुआ है, मौजूदा चैंपियन जोरशोर से अपने विकास कार्य का दम भरते हुए, आधे-अधूरे लोकार्पणो के साथ विरोधियों को आँखें दिखा रहे हैं, हालाँकि घर में थोड़ी समस्या के चलते रोज चैंपियन के ‘दूध में पानी मिला दिया जाता है’।वहीँ जगत बहनजी भी इस दंगल की संभावित विजेताओं में से एक हैं, हालाँकि उनके पास विकास के कुछ खास पैंतरे तो नही हैं, लेकिन अपने पत्थर वाले स्मारक और हाथी गिनाकर बसपा सुप्रीमो भी अपना काम चला रही हैं साथ ही विरोधियों की कमियों पर नजर रखने का हुनर तो है ही।वहीँ भाजपा क्या करना चाहती और कैसे करना चाहती है, ये शायद उन्हें भी नही पता है। बिहार चुनावों की तरह ही यूपी के चुनाव से पहले भी विरोधी दलों के इतने नेता शामिल कर लिए हैं कि, कहीं इनके खुद के नेता विरोधी न हो जाएं। वहीँ उनमें से अधिकतर शायद ये मानते हैं कि यूपी चुनाव तो प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ रैली कर के ही जिता देंगे।कांग्रेस ने यूपी दंगल के लिए अपनी शुरुआत ‘27 साल यूपी बेहाल’ से की थी, लेकिन मौजूदा समय में यूपी के भीतर कांग्रेस इस कदर बेहाल है कि, पार्टी नैतिक समर्थन के लिए मौजूदा चैंपियन की ओर ताक रही है। हालाँकि, समर्थन पर आखिरी फैसला तो मौजूदा चैंपियन के कोच को ही लेना है।बहरहाल! इस बार के दंगल में सूबे की जनता के लिए मनोरंजन ही मनोरंजन है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में एंटरटेनमेंट टैक्स फ्री है।

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