यातायात के साधनों की दृष्टि से आज की तारीख भारतीय इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण है। आज से ठीक 109 वर्ष पूर्व 7 मई 1907 को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर भिन्न-भिन्न रंगों और फूलों से सजी विद्युत ट्राम का संचालन बांबे (जो कि वर्तमान में मुम्बई) में हुआ था।

Tram 2

बिजली से चलने वाली ट्राम कारों ने घोड़ा चालित वाहनों का युग समाप्त कर दिया था, 7 मई को पहली विद्युत ट्राम ने म्युनिसिपल ऑफिस से क्रॉफर्ड मार्केट तक का सफर तय किया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुंम्बई बीएमसी के चेयरमैन वल्लभदास ठाकरसी ने गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में किया था। ट्राम संचालन के पहले रूट थे कोलाबा से बोरीबंदर और भायखाला।

दुर्भाग्य से इलेक्ट्रनिक ट्राम कार संचालन के पहले ही दिन पहली दुर्घटना भी हुई, जिसमें मालवणकर नाम का यात्री ट्राम के पहिये के नीचे आ गया और उसकी टांग काटनी पड़ी।

tram car

वर्तमान में ट्राम कोलकाता की ऐतिहासिक विरासत की गवाह बन गई है। बड़ी संख्या में कोलकाता में रहने वाले लोग आज भी बस या मेट्रो की तुलना में ट्राम कार से सफर करना पसंद करते हैं। कोलकाता की ट्राम सेवा के लिए कोच का निर्माण कोलकाता की ही “जोसेप एंड कंपनी” करती है। इससे पहले ट्राम कोच का निर्माण “बर्न स्टैंडर्ड” कंपनी करती थी।

फिलहाल कोलकाता के पास 297 ट्राम कोच हैं। इनमें से 125 रोज चलते हैं। कोलकाता में कुल सात ट्राम के डिपो हैं। वर्तमान में कोलकाता ही ऐसा राज्य है जहां ट्राम सेवा मौजूद है, कोलकाता की ट्राम सेवा आदर्श है।

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