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सपा में प्रो. राम गोपाल यादव हीरो या विलेन!

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समाजवादी पार्टी टूट के कागार पर पहुंच चुकी है। इस वक्त समाजवादी पार्टी के दो हिस्से होते नज़र आ रहे हैं। एक ओर पिता मुलायम सिंह तो दूसरी ओर बेटा अखिलेश यादव सत्ता और पार्टी के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। पार्टी में मचे घमासान में अचानक सीएम अखिलेश यादव की ताकत बढ़ती देखी गई। अखिलेश ने इस दौरान कई अहम फैसले लिए। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्रो. राम गोपाल यादव ही माने जा रहे हैं।

अखिलेश की सबसे बड़ी ताकत :

प्रो. राम गोपाल यादव ने सबसे ज्यादा सीएम अखिलेश का सपोर्ट किया है। आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने में भी राम गोपाल यादव का सबसे बड़ा हाथ था। उन्हीं के दम पर अखिलेश ने इस अधिवेशन को आगे बढ़ाया। इस बीच दोनों का पार्टी से निष्कासन और वापसी का दौर चलता रहा। लेकिन राम गोपाल और सीएम अखिलेश यादव टस से मस नहीं हुए। मुलायम सिंह बार-बार अखिलेश यादव को इशारा करते रहे कि राम गोपाल उनका भविष्य खराब कर देगें। लेकिन अखिलेश ने पिता व पार्टी मुखिया मुलायम सिंह की राम गोपाल यादव के आगे एक नहीं सुनी। मुलायम खेमे से आवाज उठती रही कि राम गोपाल सीएम अखिलेश का अपने निजी फायदे के लिए ब्रेन वॉश कर रहें हैं। लेकिन अखिलेश यादव का इस बीच अपने चचेरे चाचा पर विश्वास और भी बढ़ता गया।

शिवपाल के खिलाफ कार्रवाई में बड़ा हाथ :

राम गोपाल के बल पर अखिलेश यादव ने अपने सगे चाचा शिवपाल के खिलाफ और भी मजबूती से मोर्चा खोल दिया। उन्हीं के दम पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से शिवपाल यादव को हटाया दिया, वहीं मुलायम सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने में कामयाब हुए। इसके बाद अखिलेश खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर काबिज हो गए।

राम गोपाल पहुंचे चुनाव आयोग :

जब पार्टी में विवाद इस कदर बढ़ गया कि पार्टी के चुनाव चिन्ह तक बात आ गई। तब भी राम गोपाल यादव ने सीएम अखिलेश को हिम्मत बंधाए रखी। यहां तक प्रो. राम गोपाल खुद ही अखिलेश खेमे की तरफ से चुनाव आयोग जा पहुंचे। वहां पर उन्होंने मजबूती से अखिलेश खेमे का पक्ष रखा। साथ ही चुनाव चिन्ह पर इस खेमे का अधिकार का दावा किया।

कहल शांत करने की कोशिश पर राम गोपाल की कैंची :

चुनाव आयोग से लौटने के बाद सपा में शांति कायम करने के लिए एक बार फिर मुलायम और अखिलेश के बीच बैठक हुई। इस बैठक में शिवपाल यादव सहित कई अन्य नेता भी शामिल हुए। जबकि पार्टी से निष्कासित प्रो. राम गोपाल यादव दिल्ली में ही थे। इस बैठक से सपा कार्यकर्ता और नेता भी मुलायम और अखिलेश खेमे के फिर एक होने की सोच रहे थे। खबरे आने लगी थी कि अखिलेश कुछ मुद्दों पर अपनी शर्तों के साथ फिर से एकमत होते के विचार में दिख रहे थे। लेकिन बैठक के खत्म होते ही राम गोपाल ने फिर से इस बैठक पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि इस बैठक का कोई मतलब नहीं है। इस बैठक से कोई हल नहीं निकलने वाला। फैसला अब भी चुनाव आयोग में होगा। लेकिन सीएम अखिलेश ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा। जिससे ऐसे प्रतीत हो रहा है कि अखिलेश खेमे में उनके पीछे की सबसे बड़ी ताक प्रो. राम गोपाल बन बैठे हैं। फिलहाल वह विरोधी खेमे के विलेन बने हुए हैं, वहीं सीएम खेमे में वह हीरो बने हुए हैं। इस समय उनका कदम भी पार्टी से बाहर होने के बावजूद काफी बढ़ गया है।

 

 

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