तेज बारिश में एक ट्रेन पुल के ऊपर से गुजर रही थी। लोग अपने-अपने कामों में बिजी थे। कोई आपस में बातें कर रहा था तो कोई मूंगफली खा रहा था। अचानक ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगाया और ट्रेन फिसली। पुल तोड़कर, लबालब भरी नदी में जलविलीन हो गई। कहते हैं ड्राइवर ने ब्रेक इसलिए मारा था कि सामने भैंस आ गई थी। एक भैंस की जान बचाने में हजारों लोगों की जान चली गई। सुनकर लगता है कि फिल्मी कहानी है पर यह सच है। ये भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन एक्सीडेंट था।

6 जून को हुआ था हादसा :

साल 6 जून 1981 को मनसी से सहरसा की तरफ बागमती नदी के पुल पर ट्रेन दौड़ी चली जा रही थी। मानसून चल रहा था तो जबरदस्त बारिश हुई थी। बागमती नदी भी लबालब भरी हुई थी। 9 डिब्बे की ट्रेन में हजारों लोग सफर कर रहे थे। अचानक ड्राइवर ने ब्रेक मारा और 9 में से 7 डिब्बे ट्रेन से अलग हुए और पुल तोड़ते हुए नदी में समा गए। लोग मदद के लिए गुहार करते रहे पर मदद के लिए घंटों तक कोई नहीं आया। जब लोग बचाने आए, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में जा चुके थे।

नदी में पड़ी रही ट्रेन :

जनवरी से सितम्बर के बीच 8 महीनों में ही 526 ट्रेन एक्सीडेंट हो चुके थे। रेल मंत्री केदारनाथ पांडे की जान सांसत में फंसी हुई थी। खचाखच भरी 416 डाउन ट्रेन 6 जून को नदी में समा गई। भारत में तो वैसे भी ट्रेन जितने लोगों के लिए बनाई गई होती है, उससे तीन गुना ज्यादा लोग उसमें सफर करते हैं। बहुत सारे लोग बिना टिकट के भी सफर करते हैं इसलिए कहा नहीं जा सकता कि ट्रेन में कितने लोग रहे होंगे।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 500 लोग ही ट्रेन में थे लेकिन बाद में रेलवे के दो अधिकारियों ने पीटीआई से बात के दौरान कहा था कि मरने वालों की संख्या 1000 से 3000 के बीच हो सकती है।

कैसे हुआ था एक्सीडेंट?

ये एक्सीडेंट कैसे हुआ, उसकी असली वजह का आज तक पता नहीं चला है। इसके लिए दो थ्योरी दी गईं। पहली ये थी कि ट्रैक पर आगे भैंस खड़ी थी। उसे बचाने के लिए ड्राइवर ने ब्रेक मारी। पटरियों पर फिसलन थी। गाड़ी पटरी से उतरी, पुल तोड़ते हुए 7 डिब्बे नदी में चले गए।

दूसरी थ्योरी थी कि तूफान आ गया। तेज हवा के झोंके और साथ में पानी भी आया था। पानी खिड़कियों से अंदर जाने लगा तो सबने खिड़कियां बंद कर लीं। जब पुल पर से ट्रेन गुजर रही थी तो उस पर सीधी तूफानी हवा लग रही थी। हवा क्रॉस करने के सारे रास्ते बंद थे। भारी दबाव के चलते ट्रेन पलट कर पुल तोड़ते हुए नीचे चली गई।

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