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2019 में रायबरेली और अमेठी सीटों पर बसपा के प्रत्याशी न उतारने की चर्चाएँ

2019 के लोकसभा चुनावों की सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही सपा और बसपा में गठबंधन किया गया है। इस गठबंधन के तहत लड़ी जाने वाली लोकसभा सीटों के बंटवारे पर मंथन होना शुरू हो गया है। सपा और बसपा दोनों ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेंगी जिससे लोकसभा तक अपनी पहुँच बनाई जा सके। इस बीच सीट बँटवारे से पहले ही 2 लोकसभा सीटों पर बसपा ने अपने प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है जिसमें उसे समाजवादी पार्टी का भी समर्थन मिल सकता है।

अमेठी-रायबरेली पर नहीं लड़ेगी बसपा :

बीजेपी 2019 में रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटों को गांधी परिवार को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसी भी संभावना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी इन दोनों सीटों पर कोई उम्मीदवार ही ना उतारे। अगर ऐसा हुआ तो ये कांग्रेस के लिए काफी राहत पहुंचाने वाला होगा। बसपा सुप्रीमों मायावती के करीबी नेताओं ने पुष्टि करते हुए कहा कि बहन जी के इस कदम से सेक्युलर वोट बिखरेंगे नहीं और इन दोनों सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस की सीधी टक्कर में कांग्रेस भारी पड़ेगी। इसके पहले समाजवादी पार्टी अमेठी में 2004 से और रायबरेली में 2009 के लोकसभा चुनावों में  दोनों सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतार रही है।

आखिरी बार 1996 में जीती थी बीजेपी :

उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर भाजपा ने आखिरी बार 1996 और 1998 के चुनावों में जीत दर्ज की थी। इसके बाद से इस सीट पर कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। बीएसपी भी भाजपा के मुकाबले काफी आगे रही थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का अमेठी में वोट शेयर 14 फीसदी और रायबरेली में 16 फीसदी था। बीजेपी का इन दोनों सीटों पर वोट शेयर महज 4 और 6 फीसदी था। हालांकि 2014 के चुनाव में स्मृति इरानी के अमेठी से चुनाव मैदान में उतरने के बाद बीजेपी का वोट शेयर 34 फीसदी हो गया मगर रायबरेली में यह 21 फीसदी रहा।

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