अलीगढ़ के निवासी ,दाऊजी मंदिर के ट्रस्टी की बेटी अमेरिका में अटॉर्नी जनरल बनी।

अलीगढ़ के निवासी ,दाऊजी मंदिर के ट्रस्टी राजीव लोचन गुप्ता की बेटी वनिता गुप्ता को अमेरिका में अटॉर्नी जनरल का पद सौंपा गया।

यह जानकारी वनिता के चाचा सर्वेश कुमार ने दी जो कि जिला टेबल टेनिस एसोसिएशन के सचिव भी है।

वनिता के पिता राजीव लोचन गुप्ता करीब 40 साल पहले अपनी पत्नी कमला गुप्ता के साथ अमेरिका में रहने लगे थे।

वहीं उनकी दो बेटियों वनिता व नलिता का जन्म हुआ।

दोनों की शिक्षा भी अमेरिका में ही पूरी हुई।

महावीर गंज स्थित दाऊजी मंदिर के ट्रस्टी होने के नाते उनका अलीगढ़ आना-जाना होता है।

इस उपलब्धि पर परिवार में खुशी का माहौल है।

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में भी वनिता बड़े संवैधानिक पद पर रह चुकी हैं।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि वनिता नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाली अमेरिका की सबसे सम्मानित वकीलों में से हैं।

उन्होंने लोगों को न्याय दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया है।

वनिता ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में न्याय विभाग में प्रमुख उप सहायक अटॉर्नी जनरल और नागरिक अधिकार प्रभाग के प्रमुख के रूप में कार्य किया था, तब बाइडन उपराष्ट्रपति थे।

अपने गृह प्रांत डेलावेयर के विलमिंगटन में मीडिया को संबोधित करते हुए बाइडन ने कहा, ‘एसोसिएट अटॉर्नी जनरल न्याय विभाग में तीसरा सबसे प्रमुख पद है और मैं इसके लिए वनिता गुप्ता को नामित करता हूं।’

वनिता ने नेशनल एसोसिएशन ऑफ कलर्ड पीपल लीगल डिफेंस फंड से अपने करियर की शुरुआत की थी।

नेशनल एसोसिएशन ऑफ कलर्ड पीपल में काम करने के दौरान वनिता सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने लॉ स्कूल से सीधे 38 लोगों की रिहाई में जीत हासिल की थी।

इनमें से अधिकांश अफ्रीकी मूल के अमेरिकी थे, जिन्हें टेक्सॉस के एक कस्बे में मादक पदार्थों के आरोपों में गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था।

वनिता ने उन्हेंं मुआवजे के तौर पर 60 लाख डॉलर भी दिलाए थे।

वनिता गुप्ता ने शीर्ष मानवाधिकार संगठन, अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के लिए एक स्टाफ वकील के रूप में भी काम किया।

यहां पर उन्होंने अप्रवासियों और सामूहिक गिरफ्तारियों के शिकार लोगों के कई मामले उठाए।

बाइडन की घोषणा पर वनिता ने कहा, ‘मेरा नामांकन भारत से आए प्रवासियों के लिए गर्व का विषय है।

ऐसा नागरिक अधिकार आंदोलन और 1965 के आव्रजन और राष्ट्रीयता कानून द्वारा संभव हो सका है।

वनिता ने कहा कि अमेरिकी संसद पर हुए हमले को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमारे मूल्य, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र स्वयं अपनी रक्षा नहीं करते हैं बल्कि यह देश के साहसी लोगों द्वारा संभव होता है। उन्होंने कहा कि इस समय देश को सख्त नेतृत्व की जरूरत है।

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