खेलों के महाकुंभ ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के सपना पूरा करने की चाहत में शीर्ष महिला साइकिलिस्ट देबोरा हेराल्ड ने पिछले चार साल से अपने माता-पिता को नहीं देखा है और वह अगले दो साल अपने घर नहीं जाएंगी क्योंकि वह अपने सपने को पूरा करना चाहती है।

जीवन का लक्ष्य है ओलंपिक-

  • देबोरा हेराल्ड ने कहा, ‘मैं पिछले चार वर्षाें से अपने माता-पिता से नहीं मिली हूं।’
  • उन्होंने बताया कि केवल उनसे फोन पर ही बात हो पाती है।
  • देबोरा ने कहा कि मैं अपने मात-पिता से मिलना चाहती हूं, लेकिन अगले दो-तीन साल और नहीं।’
  • उन्होंने बताया कि 2020 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना चाहती हैं।
  • यही देबोरा के जीवन का लक्ष्य और सपना है।
  • देबोरा ने बताया कि मुझे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है, पदक जीत लेती हूं तो यह बहुत अच्छा होगा।
  • आगे देबोरा ने कहा, ‘अंडमान और निकोबार से कोई भी ओलंपिक में नहीं गया है और मैं ऐसा करना चाहती हूं।’

कई पदक जीते है देबोरा हेराल्ड ने-

  • देबोरा तब चर्चा में आई जब उन्होंने साइकलिंग में राष्ट्रीय स्तर में स्वर्ण जीता था।
  • 2013 में एश्यिन चैंपियनशिप में देबोरा ने जूनियर कैटेगरी में पांच स्वर्ण जीता था।
  • 2014 के ट्रैक साइकलिंग एशिया कप में तीन कैटेगरी में देबोरा ने चार स्वर्ण जीते।
  • 2015 टूर्नामेंट में देबोरा ने तीन स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किया।
  • इसी साल देबोरा ने ताइवान कप ट्रैक इंटरनेशनल क्लासिक इवेंट में एक स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदकों पर कब्जा किया।

पेड़ और छाल खाकर रही जीवित-

  • देबोरा हेराल्ड 2013 में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आई थी।
  • जब देबोरा यहां आई थी तब वह 17 साल की थीं।
  • आठ साल पहले वह 2004 में आई सुनामी से बची थी।
  • वह पांच दिन तक पेड़ और छाल खाकर जीवित रही थी।
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