नोटबंदी के एक साल बाद अब सियासी दलों यानि बीजेपी औऱ गैर बीजेपी दलो मे इस बात को लेकर ठन गई है कि क्या नोटबंदी जायज थी..नोटबंदी से देश को क्या लाभ हुआ..या नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था का बेडागर्क कर दिया..देश मे नोटबंदी को लेकर दो विचारधाराये सियासी शक्ल मे आज मैदान में थी..एक नोटबंदी के एक साल को काला दिवस के तौर पर मना रही थी तो दूसरी नोटबंदी को जायज ठहरा रही थी..बीजेपी औऱ उसके समर्थक आज भी नोटबंदी को जायज ठहरा रहे है औऱ मोदी सरकार अब काले धन के बाद बेनामी संपत्ति पर सर्जिकल स्ट्राईक की तैयारी मे है.
ऐसे मे आने वाले वक्त मे देश की अर्थव्यस्था का क्या होगा.क्या एक साथ ताबड़तोड़ एक्शन सिर्फ सियासी फायदे के लिये है या इसका कोई सकारात्मक प्रभाव भी नजर आयेगा. यह सवाल इसलिये है क्योकि पहले नोटबंदी औऱ फिर जीएसटी का अब कोई बडा सकारात्मक प्रभाव देखने को नही मिला है.

क्या कहते है देश के अर्थशास्त्री:

  • देश के अर्थशास्त्रियो के बीच इसको लेकर अलग अलग राय है लेकिन ज्यादातर विश्लेषक नोटबंदी को बडे फायदे का सौदा नही मान रहे है.
  • क्योंकि देश में ना तो काला धन जमा करने की प्रवत्ति पर रोक लग सकी औऱ न ही काली कमाई पर कोई लगाम लग सकी.
  • आज भी ज्यादातर मामलो मे कैश ट्रांसजेक्शन्स ही हो रहे है.
  • रिश्वतखोर आज भी रिश्वत ले रहे है औऱ देने वाले दे भी रहे है.
  • टैक्स चोरी मे कोई बडी कमी नही आई है क्योकि पैराडाईज पेपर्स के लीक होने के बाद यह संशय औऱ पुख्ता हो रहा है कि अमीर लोग टैक्स चुराने के लिये नये नये हथकंडे अपना रहे है..
ज्यां द्रेज ने कहा था कि नोटबंदी ने देश की तेज दौड़ती अर्थव्यवस्था की टांग में गोली मार दी. जाने माने अर्थशास्त्री और यूपीए कार्यकाल में नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य रहे ज़्यां द्रेज़ ने नोटबंदी की तुलना करते हुए कहा था कि यह काम ठीक उसी तरह है जैसे एक तेज रफ्तार से भागती रेसिंग कार के पहिए पर किसी ने गोली मार दी हो. ज़्यां द्रेज़ ने दावा किया था कि सरकार का यह फैसला सिर्फ विरोधी राजनीतिक दलों के पास मौजूद कालेधन को खत्म करने के लिए लिया गया है…. ज़्यां द्रेज़ ने दलील दी कि कालाधन रखने वाला धूर्त व्यक्ति अपनी काली कमाई के कैश को सूटकेस में भरकर रखने से बेहतर तरीके जानता है. वह अपनी काली कमाई को खर्च करता है, निवेश करता है और कैश को किसी अन्य रूप में बदल लेता है. वह संपत्ति खरीद लेता है, महंगी शादियों पर उड़ा देता है, दुबई में शॉपिंग करता है या नेताओं को खुश करने के लिए खर्च कर देता है.
हालांकि यह भी सत्य है कि कुछ लोगो के पास कुछ कालाधन रसोई के डिब्बे या तकिया की खोल में भी पड़ा हो. लेकिन इस बचे-खुचे कालेधन को बाहर निकालने की कवायद कुछ उसी तरह है कि आप कमरे में शावर चलाकर पोछा लगाएं. लिहाजा इस कदम को कालेधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की संज्ञा देना महज एक भ्रम है.
यह हुआ नोटबंदी का असर :
ऐसा नही है कि नोटबंदी का कोई सकारात्मक असर नही हुआ..असर हुआ लेकिन वह बहुत प्रभावशाली नही रहा..फिर भी.

ब्लैकमनी कहाँ गई

  • मोदी ने नोटबंदी की बड़ी वजह ब्लैकमनी को बताया था.
  • लेकिन, रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि नोटबंदी के बाद 500 औऱ 1000 के करीब 98.7% नोट यानी 15.28 लाख करोड़ रुपए बैंकों में लौट आए.
  • सिर्फ 1.3% नोट बैंकों में जमा नहीं हुए.
  • विपक्ष ने सवाल उठाया कि जब 98.7% पैसा बैंकिंग सिस्टम में लौट आया तो ब्लैकमनी कहां गई.
  • हालांकि जनवरी में आई एक रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया कि हवाला के जरिए होने वाला लेनदेन नोटबंदी के बाद से 50 प्रतिशत कम हुआ है.

संदिग्ध की पहचान हुई:

  • नोटबंदी के दौरान संदिग्ध ट्रांजैक्शन को लेकर 18 लाख अकाउंट्स होल्डर्स को नोटिस भेजा गया था.
  • इनमें से 10 लाख ने जवाब दिया। बाकियों के खिलाफ सरकार एक्शन की तैयारी कर रही है.
  • शेल कंपनियां 2.97 लाख शेल कंपनियों की भी पहचान की.
  • इनमें से 2.24 लाख का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया.
  • कॉरपोरेट मिनिस्ट्री ने बताया, 35 हजार कंपनियों ने नोटबंदी के दौरान 17 हजार करोड़ रुपए जमा किए और बाद में निकाल लिए.
  • ये रकम भी बैन की गई करंसी का महज फीसदी ही है.
  • इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालो की तादाद मे इजाफा – फाइनेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, 2016-17 में 5 अगस्त तक 2.82 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए गए.
  • पिछले फाइनेंशियल ईयर के मुकाबले ये 24.7% ज्यादा है.
  • इंडीविजुअल्स की तादाद भी 2.22 करोड़ से 25.3% बढ़कर 2.79 करोड़ हो गई.
  • एडवांस टैक्स कलेक्शन 41.79% और पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 34.25% बढ़ा.

अब बेनामी संपत्ति पर है हमले की तैयारी

नोटबंदी के बाद एक बात जो साफ हुई औऱ जिसको लेकर भ्रष्टाचारियो मे एक संदेश गया कि मोदी सरकार साहसिक फैसला लेने मे पीछे नही हटेगी..यही वजह है कि बेनामी संपत्ति औऱ विदेशो जमा काले धन के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है…पीएमओ ने वित्त औऱ कानून मत्रालय के साथ मिलकर इसकी रुपरेखा को अंतिम रुप दे दिया है..पीएम मोदी खुद इसकी घोषणा करेगे..
writer:
Manas Srivastav
Associate Editor
BSTV
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