आप सर्दियों के दौरान लेह के गुपुक झील पर जाएँ, तो आपको आइस हॉकी खिलाड़ी स्केटिंग करते और आइस स्केटिंग रिंग पर गोल स्कोर करते हुए नज़र आ जायेंगे। लेकिन अगर करीब से देखेंगे तो आप पाएंगे कि वे भारत की महिला आइस हॉकी टीम है जो अपने देश का नाम ऊँचा करने के लिए कठिन प्रशिक्षण कर रहीं हैं।

समस्याओं से जूझती महिला आइस हॉकी टीम-

  • आइस हॉकी की महिला टीम को समुचित उपकरणों और सुविधाओं की कमी है।
  • खिलाड़ियों अपनी जेब से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं।
  • पिछले साल टीम ने ताइवान में एशिया कप में भाग लिया ।
  • हालांकि टीम कप नहीं ला पी लेकिन टीम पहली बार पेशेवर रिंक पर खेलने से ही ख़ुशी थी।
  • इस टूर्नामेंट में भारत की नूरजहां को सबसे बेहतरीन गोलकीपर के खिताब से सम्मानित किया गया था।

मौसम के विपरीत खिलाड़ियों का जुनून- 

  • लेह की मुश्किल जलवायु में महिलाओं के लिए अभ्यास बेहद कठिन होता है।
  • यहाँ महिलाएं अपने रिंग और खुद ही निर्माण करती है और उसपर स्केट की प्रैक्टिस करतीं हैं।
  • लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग टीम की 3,000 लीटर पानी की मदद करता है।
  • टीम के खिलाड़ी खुद ही प्रैक्टिस रिंग पर पानी का छिडकाव करती हैं ताकि रिंग को प्रैक्टिस के लिए सक्षम बनाया जा सके।

जुनून के आगे मुश्किलें कुछ नहीं- 

  • इन सभी कठनाइयों के बावजूद खिलाड़ियों में उत्साह की कोई कमी नहीं है।
  • यहाँ छोटी लड़कियों को भी ट्रेनिंग दी जाती है।
  • इन लड़कियों को उम्मीद है कि वह एक दिन भारत को प्रतिनिधित्व करेंगी।
  • यहाँ ज़रूरत है कि खेल अधिकारी इन खिलाड़ियों पर भी कुछ ध्यान दे और इनके उचित प्रशिक्षण का इंतजाम हो.

 

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