पिछले के कुछ वर्षो में यह देखा जा रहा है कि वरिष्ठ नागरिकों को जीवन बीमा उत्पाद, बीमा मध्यस्थों द्वारा बिना उनकी आवश्यकता को मूल्यांकित किये, व्यक्तिगत कमीशन के लालच में बेच रहे है. जबकि उनकी आवश्यकता का मूल्यांकन करने पर अधिकांश लोगों को दी गयी जीवन बीमा पॉलिसी की आवश्यकता थी ही नहीं. आइये समझते है की वास्तव में वरिष्ठ नागरिकों को कैसे बचना चाहिए.

जीवन बीमा क्यों?

जीवन बीमा और जोखिम एक ही सिक्के के दो पहलू है जिसमे निवेश का समाहित होना बीमा के महत्व को बढ़ाता है.

आधुनिक व्यावसायिक वातावरण में भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने जीवन बीमा की खामियों को दूर कर आम जनता के लिये बीमे को और प्रभावशाली किया है और आवश्यकता आधारित विक्रय पर विशेष बल दिया है.

बीमा की आधारभूत अवधारणा जोखिम से वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है. कम उम्र में इसकी आवश्यकता अत्यधिक होती है जबकि अधिक उम्र में न के बराबर.

वरिष्ठ नागरिकों को गारंटीकृत रिटर्न की जीवन बीमा पॉलिसी लेनी चाहिये?
  • किसी भी जीवन बीमा उत्पाद को लेने का मुख्य उद्देश्य जोखिम सुरक्षा से होता है और विषम परिस्थिति में परिवार को वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े इसलिए जीवन बीमा का महत्व अधिक है.
  • जीवन बीमा सुरक्षा का महत्व तभी अधिक है जब व्यक्ति कार्यरत हो.
  • कार्य से सेवा मुक्त होने के पश्चात जीवन बीमा की आवश्यकता न के बराबर रहती है.
  • भारत में 90 प्रतिशत लोग सेवा मुक्त होने के पश्चात कोई कार्य नहीं करते है.

  • कई बार बीमा मध्यस्थ गारंटीकृत रिटर्न या ट्रेडिशनल उत्पाद को आकर्षक बताकर जीवन बीमा पॉलिसी बेचते है.
  • ऐसी पोलिसियाँ लंबी अवधि 10 वर्ष से अधिक की होती है जबकि रिटर्न भी बहोत कम होता है लगभग 5ः से भी कम.
  • पॉलिसी अवधि और रिटर्न को यदि छोड़ भी दिया जाय तो प्रीमियम भी अधिक होता है.
  • उस उम्र में मिलने वाली बीमा सुरक्षा भी कम होती है.
  • कभी आकस्मिक आवश्यकता होने पर 3 वर्षो के अंदर पॉलिसी को सरेंडर भी नहीं किया जा सकता.
  • यानि की जोखिम सुरक्षाए रिटर्नए पॉलिसी अवधिए प्रीमियम और आकस्मिक आवश्यकता पर तुरंत पैसे की पूर्ति नहीं होती है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों को नगद धनराशि की अधिक आवश्यकता रहती है.
  • अतः ऐसे जीवन बीमा उत्पाद से बचना चाहिए.
वरिष्ठ नागरिकों को सिंगल प्रीमियम जीवन बीमा पॉलिसी लेनी चाहिये?
  • यूलिप और ट्रेडिशनल जीवन बीमा उत्पाद में प्रीमियम भुगतान हेतु, रेगुलर प्रीमियम भुगतान, सीमित अवधि प्रीमियम भुगतान और सिंगल प्रीमियम भुगतान का विकल्प होता है.
  • सिंगल प्रीमियम पॉलिसी अच्छे रिटर्न और आयकर में छुट के आकर्षण के कारण वरिष्ठ नागरिक लेते है, जबकि 45 वर्ष से अधिक आयु पर जीवन बीमा सुरक्षा प्रीमियम का 1.1 गुना होता है और 45 वर्ष से कम की आयु पर 1.25 गुना होता है.
  • इसका स्पष्ट आशय यह है कि वरिष्ठ नागरिकों को जीवन बीमा पूर्णावधि लाभ टैक्स फ्री नहीं होता.
  • अतः वरिष्ठ नागरिकों को ऐसे जीवन बीमा उत्पाद से बचना चाहिए.
वरिष्ठ नागरिकों को यूलिप जीवन बीमा पॉलिसी लेनी चाहिये?
  • यूलिप जीवन बीमा पॉलिसी में निवेशित धनराशी का निवेश बीमा कम्पनियाँ विभिन्न फंड के माध्यम से शेयर मार्किट में करती है.
  • जिससे अधिक रिटर्न प्राप्त हो सके.
  • जबकि सुरक्षित रिटर्न के लिये विभिन्न डेब्ट में निवेश करती है.
  • इसमें निवेशित राशि पर उच्च रिटर्न मिलने के साथ साथ रिस्क भी अधिक होता है.
  • यूलिप पालिसियों में लॉक इन अवधि 5 वर्ष है अर्थात 5 वर्ष के पहले इससे बाहर नहीं निकला जा सकता.
  • इसके अतिरिक्त शेयर मार्किट के जोखिमो से भी नहीं बचा जा सकता.
  • साथ ही यूलिप उत्पाद के विभिन चार्जेज भी सिंगल प्रीमियम को आकर्षक नहीं बनातें है.
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिये यूलिप पॉलिसी आकर्षक नहीं है.
  • अतः यूलिप में निवेश से बचना चाहिए.
बैंक के माध्यम से जीवन बीमा उत्पाद लेना चाहिये?
  • बैंको का जीवन बीमा कम्पनी के जीवन बीमा उत्पाद को बेचने के लिये अनुबंध रहता है.
  • बैंक वरिष्ठ नागरिकों के खातों से भलीभांति अवगत होते है और वरिष्ठ नागरिकों को कई आफर बीमा के सम्बन्ध में देते है.
  • अधिकांश वरिष्ठ नागरिकों को वास्तविक जानकारी उस ऑफर के सम्बन्ध में नहीं होती है.
  • कई बार तो पॉलिसी डॉक्यूमेंटए फ्री लुक अवधि ख़त्म होने के पश्चात् भेजा जाता है.
  • बैंक या बैंक के अधिकृत व्यक्ति द्वारा कही भी ऑफर के बारे में लिखित दस्तावेज नहीं दिया जाता है.
  • वरिष्ठ नागरिकों को बैंक के ऐसे ऑफर से बचना चाहिये.
यदि आपकी आवश्यकता के विपरीत जीवन बीमा उत्पाद बेचा गया है तो क्या करें?
  • जीवन बीमा पॉलिसी लेने के पूर्व स्वयं की आवश्यकता का मूल्यांकन अवश्य करना चाहिए.
  • यदि इसके बावजूद वरिष्ठ नागरिकों को यह लगता है कि गलत पॉलिसी का विक्रय किया गया है तो पॉलिसी को फ्री लुक अवधि में वापस किया जा सकता है.
  • [penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]यदि दी गयी पॉलिसी ट्रेडिशनल है तो पॉलिसी को पेड.अप कर सकते है या फिर सरेंडरए इसके लिये यह आवश्यक है कि यदि पॉलिसी अवधी 10 वर्ष से अधिक हो तो कम से कम 3 वर्षो तक और यदि पॉलिसी अवधि 10 वर्ष से कम हो तो कम से कम 2 वर्ष तक पॉलिसी का प्रीमियम भुगतान किया गया हो.[/penci_blockquote]
  • पॉलिसी का बीमा जोखिम और पूर्णावधी लाभ उसी अनुपात में कम हो जायेगा.
  • यूलिप पॉलिसी के सन्दर्भ में यदि प्रीमियम 5 वर्ष से कम अवधि तक दिया जाता है तो पॉलिसी लैप्स हो जाती है और यूलिप पॉलिसी का निवेश डिसकंटिन्यू पॉलिसी फंड में हस्तांतरित कर दिया जाता है.
  • जहाँ पर 3.5% से 4% रिटर्न पांच वर्षो पश्चात् प्राप्त होता है.
पेंशन जीवन बीमा पॉलिसी?
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिये पेंशन जीवन बीमा उत्पाद जीवन बीमा कम्पनियों से लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
  • सेवा समाप्ति के पश्चात् प्राप्त धनराशि को जीवन बीमा पेंशन में निवेश कर त्वरित पेंशन प्राप्त किया जा सकता है.
  • जिसमें जोखिम न के बराबर है और प्राप्त होने वाला लाभ भी कही अधिक है.
  • विभिन बीमा पॉलिसी वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकता की पूर्ति नहीं करती है, जबकि पेंशन जीवन बीमा पॉलिसी और उससे प्राप्त होने वाला लाभ वरिष्ठ नागरिकों के लिये अच्छा है.
  • पेंशन उत्पाद में विभिन्न विकल्प वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं की पूर्ति भी करतें है.

वरिष्ठ नागरिकों को सामान्यतः सेवा निवृति के पश्चात् नियमित आय की जरुरत होती है. उन्हें आयकर की धारा 80 सी में छुट, जीवन बीमा सुरक्षा, लम्बी अवधि तक प्रीमियम भुगतान, टैक्स फ्री पूर्णावधी लाभ, आकर्षक रिटर्न, शेयर मार्किट के लाभ या नियमित निवेश, जीवन बीमा के माध्यम से उनके उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करते है.

वरिष्ठ नागरिकों को लम्बी अवधि का कोई भी निवेश नहीं करना चाहिए. पेंशन उत्पाद के जरिये वरिष्ठ नागरिकों की नियमित आय की जरूरत की पूर्ति की जा सकती है. जीवन बीमा के अन्य उपलब्ध उत्पाद से वरिष्ठ नागरिकों को सामान्यतः बचना चाहिए.

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