अमर-प्रेम चर्चा ।
बदल गया झुकाव ।।

करवट लिया प्रेम ।
सियासी ठहराव ।।

हमला है वही ।
दिशा केवल बदली ।।

उमड़ा नया प्रेम ।
भावना पर असली ?

बदल गया गुड़गान ।
नेताजी ना अपने ।।

सियासी शतरंज ने ।
दिखाये कुछ सपने ?

कृष्णेन्द्र राय

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