द्वारिका पुराणों के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की  द्वारिका नगरी समुद्र में विलीन हो गयी थी। द्वारिका के विषय में अनेक कहानियां प्रचलित हैं। यह नगरी महभारत के युद्ध के तकरीबन 36 साल पश्चात समुद्र में समा गई थी। द्वारिका नगरी नष्ट होने की आखिर क्या वजह रही इस सवाल की खोज कई वैज्ञानिकों ने की और उसके जवाब भी ढूंढे। इसी खोज में हजारों फीट नीचे समुद्र में वैज्ञानिकों को द्वारिका के महत्चपूर्ण अवशेष मिले हैं। जो इस बात को प्रमाणित करते है की द्वारिका आज भी समुद्र में मौजूद है। इसका एक वीडियो भी जारी किया गया है।

समा गई थी हजारों फीट समुद्र में द्वारिका नगरी :

द्वारिका नगरी के बारे में माना जाता है कि 9,000 वर्षों पूर्व हिमयुग की समाप्ति पर समुद्र का जलस्तर बढऩे के कारण यह नगर समुद्र में विलीन हो गया होगा, लेकिन इसके पीछे कुछ लोग और भी कारण बताते हैं। बहुत से पुराणकार और इतिहासकार यह मानते हैं कि इस नगरी को कृष्ण के देहांत के बाद जान-बूझकर नष्ट किया गया था। बता दे कि दुअरिका नष्ट होने से पहले भगवान कृष्ण का स्वर्गवास हो चुका था।

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इसलिए कहा जाता था द्वारिका :

कई द्वारों का शहर होने के कारण इस नगरी का नाम द्वारिका पड़ा। इस शहर के चारों ओर बहुत ही लंबी दीवार थी जिसमें कई द्वार थे। वह दीवार आज भी समुद्र के तल में स्थित है। भारत के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है द्वारिका। द्वारिका को द्वारावती, कुशस्थली, आनर्तक, ओखा-मंडल, गोमती द्वारिका, चक्रतीर्थ, अंतरद्वीप, वारिदुर्ग, उदधिमध्यस्थान भी कहा जाता है। गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित 4 धामों में से 1 धाम और 7 पवित्र पुरियों में से एक पुरी है द्वारिका। द्वारिका 2 हैं- गोमती द्वारिका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है। बेट द्वारिका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है।

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