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आजाद देश की जनता गुलाम क्यों?

यूपी का एक जिला है महाराजगंज. अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद कराने का गजब जज्बा था महाराजगंज मे,.जिसकी मिसाल है 1930 का महात्मा गांधी का नमक आंदोलन औऱ 1931 का जमींदारी प्रथा के खिलाफ आंदोलन. दोनों ही आंदोलन में महाराजगंज ने अहम भूमिका निभाई. यहाँ के नायक थे प्रोफेसर पिब्बन लाल सक्सेना जिन्होंने ईख संघ की स्थापना की.

दरअसल ईख संघ ने जमींदारों औऱ अंग्रेजों को गठजोड़ को तोड़कर आजादी के आंदोलन में एक नई शुरुआत की थी. वक्त के साथ आजादी के वो दीवाने भी गुजर गये औऱ प्रोफेसर पिब्बन लाल सक्सेना भी..लेकिन इन तमाम क्रांतिकारियों के बलिदान से देश आजाद हो गया.

डीएम महाराजगंज जूते मारने की धमकी देते हैं:

आलीशान जिंदगी जीने के आदी हो गये ब्यूरोक्रेट

आज के ब्यूरोक्रेट जो आलीशान जिंदगी जीने के आदी हो गये है वह शायद नहीं जानते होंगे कि आजाद हिंद फौज की रचना करने वाले आजादी के आंदोलन के महानायक सुभाष चंद्र बोस कितने सपन्न परिवार से थे. पिता उस जमाने के मशहूर वकील थे औऱ सुभाष चंद्र बोस ने उस वक्त यानि 1920 आईसीएस की परीक्षा मे चौथा स्थान हासिल किया था. उस वक्त आईएएस को आईसीएस कहा जाता था .लेकिन सुभाष चंद्र बोस को कलेक्टर बन कर सत्ता की गुलामी मंजूर न थी. उन्हें तो देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराना था इसलिये आईसीएस की कुर्सी पर लात मार कर आजाद हिंद फौज का गठन किया.

महापुरुषों से कब सीखेंगे आज के ब्यूरोक्रेट्स :

महात्मा गांधी लंदन से बैरिस्टर बन कर लौटे थे..लाला लाजपत राय बहुत बड़े वकील थे. मंगल पांडेय अंग्रेजी फौज में शामिल थे.. ऐसे न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने पद की परवाह किये बगैर इसलिये देश के लिये जान गंवा दी कि आने वाले आजाद भारत में देश के पास अपना सिस्टम अपने अधिकारी औऱ अपनी सरकार हो. जो जुल्म न करे बल्कि देश की जनता से प्यार करे. इंसाफ करे..लेकिन क्या ऐसा हो सका..कुछ साल पहले लखनऊ में उस वक्त के एक जिलाधिकारी अमित कुमार घोष ने आंदोलन कर रहे एक कर्मचारी के गाल पर थप्पड़ रसीद कर दिया था. आज महाराजगंज के जिलाधिकारी पर आरोप है कि वह महिलाओं को जूतों से मारने की धमकी दे रहे है. खुद महिलाए अपनी बेईज्जती की दास्तान बयान कर रही है.

अंग्रेजी हुकूमत की ज्यादती तो समझ मे आती है क्योंकि वह तो हमें गुलाम बनाने ही आये औऱ बरसों बनाकर रखा भी लेकिन आज यह देश औऱ जनता किसकी गुलामी कर रही है. जवाब सरकार को देना है..क्योंकि फैसला जनता को करना है.

Writer:

Manas Srivastava

Associate Editor

Bharat Samachar

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