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संसार में जो आया है, उसे एक न एक दिन जरूर जाना है. कुदरत के आगे किसी की भी नहीं चलती है. वहीँ फिर भी आज लोग इस भाग दौड़ में पैसे के चक्कर में जीना भूल गए हैं. उन्हें लगता है कि उनकी जिन्दगी में अभी बहुत कुछ आगे पड़ा है, लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि मरने से पहले हर इंसान के जिन्दगी में ये अफसोस रह ही जाता है. आपकी जिन्दगी में भी ऐसा कोई अफ़सोस न रहे तो बने रहे हमारी इस खबर के साथ. जी हाँ आज हम आपको बताएँगे कौन से है वो 5 अफसोस, जो लोग अपनी जिंदगी (life) के आखरी वक्त में करते है.

जाने मौत से पहले के ये 5 अफ़सोस…

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1- ज्यादा मेहनत का अफ़सोस:

  • हर आदमी के जिंदगी (life) में ये सबसे बड़ा अफ़सोस रहता है कि में इतनी मेहनत क्यूँ कर रहा हूँ.
  • मेहनत करते करते मैने अपने परिवार को कभी समय नहीं दिया है.
  • वहीँ आज जा मेरा अखीरी समय नजदीक आ रहा है.
  • तो यही लोग आज मेरे साथ खड़े हुए हैं.
  • में दूसरों को पीछे छोड़ने के लिए जिन्दगी भर काम करता रहा उअर अपने बच्चों का बचपन भी नहीं देख पाया.

2- परिवार से फीलिंग व्यक्त  न करने का अफ़सोस:

  • अपनी जिंदगी (life) के अखीरी समय में इंसान को ये सबसे बड़ा अफ़सोस रहता है.
  • वह अपने माँ-बाप, पति-पत्नी, बच्चों को ये कभी नहीं बोल पाता कि वह उन्हें कितना प्यार करता है.
  • आपको बता दें कि साइकोलॉजिकली प्यार को एक्शप्रेस करने से दो लोगों के बीच प्यार में इजाफ़ा होता हैं.
  • जी हाँ अगर आप किसी के बारे में अच्छा फील करते हो तो उसे व्यक्त करिये.
  • शर्म आ रही है, तो उसे लिख कर व्यक्त करें.

3- मन को खुश न रख पाने का अफ़सोस:

  • ये भी एक सबसे बड़ा अफ़सोस रहता है, इंसान को अपने जिंदगी (life) के आखीरी समय में.
  • इंसान अपनी पूरी जिन्दगी में अपने मन को जानबूझ कर खुश नहीं रख पाता है.
  • वह हमेसा ही और ज्यादा, और ज्यादा की होड़ में अपने मन को ख़ुशी नहीं रख पाटा है.

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4- दोस्त से सम्पर्क न रख पाने का अफ़सोस:

  • इस भाग दौड़ भरी जिंदगी (life) के में इंसान इतना व्यस्त हो जाता है कि अपने सबसे खास दोस्त को भी भूल जाता है.
  • वहीँ जब उसका आखिरी समय आता है, तब जाकर उसको इस बात का अफ़सोस होता है.
  • वो दोस्त जिनके साथ आपने काफी वक्त गुज़ारा है शायद बचपन भी.
  • आप उन्हें ही अपनी जिन्दगी बनाने में भूल जाते हैं.

5- अपना जीवन खुद ना चुनने का अफ़सोस:

  • ये भी एक सबसे बड़ा अफ़सोस रहता है, इंसान को अपने आखीरी समय में.
  • काश मैं अपना जीवन (life) वैसे जीता जैसे मैं चाहता था, ना की वैसे जैसे दूसरे लोग चाहते थे.
  • जी हाँ मैंने प्रोफेशन वो पसंद नहीं किया जिसके लिए मेरा दिल कहता था.
  • लेकिन जब मौत करीब होती है तो इंसान सोचता है की मैं सारी उम्र वो काम करता रहा जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था.
  • माता पिता जो चाहते थे मैंने वही चुना, अपना मन मैंने दबा दिया.
  • वहीँ इस काम को चुनने से मुझे एसो-आराम तो मिला लेकिन शुकून और खुशी कभी नहीं मिल पाई है.

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