2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी फिर से सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में भाजपा ने सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पार्टी पदाधिकारियों को सक्रिय कर दिया है। सपा और बसपा के गठबंधन के अलावा बागी सांसदों और नेताओं से निपटना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होने वाला है। इस बीच खबरें है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा अपने लगभग 50 सांसदों के टिकट काटने की तैयारी में है। इनमें कई बड़े और राष्ट्रीय स्तर के नेता शामिल हैं।

काम न करने वालों का टिकट कटना तय :

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की राजनीतिक हकीकत जानने के लिए बनी टीम और इस काम में लगाये गए भाजपा नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया है कि लोकसभा चुनाव 2019 में यदि यूपी के 50 सांसदों के टिकट नहीं बदले गये तो पार्टी लक्ष्य से बहुत दूर रह जायेगी। ये वो सांसद हैं जिन्‍होंने क्षेत्र में विकास के कोई खास काम नहीं किया और 4 साल तक जनता से दूरी बना कर रखी। सपा-बसपा गठबंधन से जब भाजपा गोरखपुर और फूलपुर दोनों लोकसभा उपचुनाव में पराजित हुई, तब से पूरी यूपी की भाजपा सरकार और संगठन कार्यकर्ता हतोत्साहित हो गए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. महेंद्रनाथ पांडेय का भी कुछ ख़ास कमाल कार्यकर्ताओं के बीच दिखाई नहीं दे रहा है। खुद उनके संसदीय क्षेत्र के किसान भी उनसे नाराज बताये जा रहे हैं।

बीजेपी के पास अभी है समय :

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्‍तर प्रदेश पर इन दिनों अपना ख़ास ध्‍यान लगा दिया है। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में व्‍यवस्‍तता के बाद भी वे 10 दिन में 2 बार उत्‍तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। फिर भी राज्य सरकार और संगठन का मनोबल पहले जैसा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तक गांवों में रात्रि विश्राम कर रहें हैं। अब इसका असर कितना प्रभावी होगा, यह देखना अभी बाकी है। हालाँकि बीजेपी के पास अभी भी समय है। वह चाहे तो 2014 की तरह अगले लोकसभा चुनावों में वापसी कर सकती है।

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