पितृ पक्ष अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखने के लिए यह पर्व मनाया जाता है.

क्या है पितृ पक्ष-

  • पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र पक्ष माह की पूर्णिमा से हो जाती है.
  • यहा महापर्व पूर्वजों को याद करने, उनको धन्यवाद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है.
  • इसे महापर्व इसलिए कहा गया है क्योंकि ये 16 दिनों तक चलता है.

हिन्दू समाज में इसका महत्व-

  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज किसी न किसी रूप में हमारे पास आते है.
  • इस पर्व पर पितरों के मान सम्मान के लिए पौत्र या पुत्र द्वारा श्राद्ध करवाया जाता है.
  • पितृ पक्ष में श्राद्ध से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वज प्रसन्न होकर लम्बी आयु की कामना करते है.
  • हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम करने की मनाही है जैसे मकान या वाहन खरीदना जैसे काम नहीं करना चाहिए.
  • गरुड़ पुराण में इस बात का भी ज़िक्र है कि श्राद्ध और तर्पण से पितरों को तृप्ति मिलती है, इसी कारण पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण किया जाता है.
  • इस महापर्व के दौरान लोग अपने पितरों को याद करते है और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं.
  • पितृ पक्ष के दौरान घर में प्याज़, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है.
  • हिन्दू समाज में तीन पीढ़ी तक के पूर्वजों की पूजा-अर्चना करने की मान्यता है.

कब और कैसे करना चाहिए श्राद्ध

  • परंपरा के अनुसार, दोपहर 12 बजे के आस पास श्राद्ध करना ठीक होता है.
  • किसी सरोवर या नदी के किनारे श्राद्ध किया जाता है. इसके अलावा यह घर पर भी किया जा सकता है.
  • पितरों के लिए भात, काले तिल और घी के मिश्रण का पिंडदान किया जाता है.
  • इसके बाद विष्णु भगवान और यमराज की पूजा की जाती है.
  • अपने पूर्वजों का पसंदीदा व्यंजन बनाकर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है.
  • उचित दक्षिणा, फल और सम्मान के साथ विदा किया जाता है.
  • एक मान्यता यह भी है की पक्षी पितरों के विशेष दूत होते है, इसलिए कौवों और पक्षियों को द्वारा श्राध्द का भोजन ग्रहण करना सही मायने में पितरों को प्राप्त होता है.

 

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