यूपी चुनाव 2017 में सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी जुबानी मान मर्यादा भूल चुकी हैं। कोई भी दल अपना ज़मीनी काम दिखाने की बजाये एक दूसरे के काम दिखा रहे की इसने क्या किया, कितना किया और कैसे होना था कैसा कर दिया।

जनता त्रस्त, नेता मस्त:

  • जनता की आम जरुरत रोटी कपडा और मकान के साथ सड़क पानी वगैरह से ज्यादा नहीं है।
  • लेकिन नेताओं को अपनी राजनीति से फुरसत मिले तब न।
  • सभी पार्टियां एक दूसरे पर सिर्फ तंज कसती नज़र आ रही है।
  • ये कसाब का जुमला जो अमित साह ने मारा कि “हमें उत्तर प्रदेश में कसाब से निजात दिलानी है”।
  • उसको लेकर पूरे भारत में चर्चा तेज़ हो गयी है।
  • कोई पार्टी किसी गरीब या किसी की समस्या को लेकर बात नहीं कर रही बल्कि सब आपस में जुमलों की लड़ाई में लगे है।
  • जुमलो में सबसे पहला जुमला स्कैम था बीजेपी सरकार का, जिसपर सभी ने एक दूसरे पर तंज कैसे और कल एक नया जुमला कसाब आया।
  • अब सभी पार्टियां कसाब को अपने तरीके से डिफाइन कर रही है।
  • भारतीय जनता पार्टी के मुताबिक कसाब का मतलब है

– कांग्रेस
– सपा
– बसपा

  • वहीँ बसपा ने भी अमित शाह के इस तंज पर कॉपी जुमला दे मारा है। इनके मुताबिक कसाब का मतलब है-

– कमल
– संघ
– बीजेपी, से उत्तरप्रदेश को निजात दिलानी है।

  • कसाब की लड़ाई में अखिलेश यादव ने भी अपना कसाब बता दिया है।

क: कंप्यूटर

स: साइकिल

ब: बसों में महिलाओं को सुविधा

  • लेकिन कोई भी पार्टी अभी तक ज़मीनी मुद्दों पर नहीं पहुची है।
  • बस एक दूसरे पर वार करने के अलावा कोई भी बात नहीं हो रही इस 2017 के विधानसभा चुनाव में।

लेखक: आशीष रमेश पाण्डेय

ट्विटर: @pandeyashishpa

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें