Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Special News

पॉलिथीन पर प्रतिबंध: क्या लग सकी है पूरी तरह से लगाम?

Polythene Ban

राज्य में पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है परन्तु इसके बावजूद भी कुछ ही महीनों में कई दुकानों में इसके इस्तेमाल को राज्य के शहरों, और राजधानी में भी देखा जा सकता है। आखिर लोग क्यों करना चाहते हैं पॉलिथीन का इस्तेमाल या फिर यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है की हम पॉलिथीन का इस्तेमाल न करें?? जागरूकता काफी नहीं है लोगों को इसका इस्तेमाल रोकने के लिए प्रेरित करने हेतु, क्यूंकि अभी भी लोग इसके विकल्प को तलाशने के प्रति उत्सुक नहीं हैं। हाथ में कपडे का एक थैला लिए सामान लाना या अपनी गाडी की डिक्की में बिना पॉलिथीन सामान भर कर लाना इतना मुश्किल नहीं होता यदि इस सोच के साथ सामान लिया जाए की आप वातावरण के लिए बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं जो भविष्य में आपके आसपास स्वच्छ माहौल को विकसित करेगा।

पॉलिथीन के जैवनिम्नीकरण का समय बहुत ही लम्बा होता है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इसे पूर्णतः अपघटित करने का समय ५०० से १००० वर्ष तक हो सकता है। कई बार इसे नष्ट करने या इससे पैदा हुई गंदगी को हटाने के लिए इसको जला दिया जाता है जिससे अत्यंत हानिकारक गैसें निकलती हैं और वायु को प्रदूषित करती हैं। ये गैसें, जिनमें कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड और मीथेन शामिल हैं, ग्रीन हॉउस प्रभाव को बढ़ाती हैं जो वातावरण के लिए बेहद नुकसानदेह होता है। इस प्रभाव से एसिड रेन की आशंका बढ़ जाती है और यह पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओज़ोन की परत को भी भारी क्षति पहुँचाता है जिससे त्वचा के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। कचरे के रूप में फेंकी जाने वाली पॉलिथीन की थैलियां सडकों पर और आसपास गंदगी फैलाने के साथ ही जानवरों के लिए भी घातक हैं जो इनमें रखे हुए खाद्य पदार्थों को खाने के लिए इन्हें निगल जाते हैं और यह इनकी मृत्यु का कारण बनती हैं।

विकल्प क्या है फिर पॉलिथीन का? क्या पेपर के बने थैले अच्छे हैं?? यदि पेपर की बात करें तो उसे भी बनाने के लिए पेड़ों को काटना पड़ता है इसलिए मेरे विचार से यदि पेपर की थैलियां पुनर्नवीनीकरण पेपर से नहीं बनी तो इनका इस्तेमाल भी वातावरण के लिए हानिकारक ही सिद्ध होगा। इसलिए सबसे बढ़िया और वातावरण अनुकूल है कपडे से बना थैला। कोशिशें पहले कदम से ही कामयाब होती हैं। पहला कदम बढ़ाएं और पेपर या पॉलिथीन के थैलों की जगह कपडे के थैले बाज़ार ले जाएँ। ये इतना मुश्किल नहीं और आपको काफी गर्व महसूस होगा की अपने एक छोटे से कदम से आप कई और लोगों को प्रेरित करेंगे व इसके साथ ही वातावरण और पृथ्वी आपको धन्यवाद कहेगी।

Related posts

मेट्रो हादसा: 3 सेकंड में समझिये क्या होता है भारतीय सैनिक

Kumar
8 years ago

86% Healthcare companies failing in digitally activeness

Shivani Arora
7 years ago

खुलासा: उत्तराखंड सरकार ने बाढ़ राहत कोष से विराट कोहली को किया भुगतान

Namita
7 years ago
Exit mobile version