2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। एक ओर जहाँ भाजपा अपनी सत्ता में वापसी में लगी हुई है तो वाहों दूसरी तरफ सपा और बसपा ने मिलकर गठबंधन किया है जिससे भाजपा और मोदी लहर को रोका जा सके। इस गठबंधन में कई और पार्टियों के शामिल होने की चर्चाएँ चल रही हैं मगर कुछ भी अभी तक आधिकारिक रूप से सामने नहीं आया है। इस बीच के राजनैतिक दल ने इस गठबंधन में शामिल होने के लिए बड़ी शर्त रख दी है जिसके बाद नयी चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।

रालोद ने रखी शर्त :

उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव 28 मई को होने वाला है। इसके साथ ही दलों में प्रत्याशी उतारने और गठबंधन की हलचल तेज हो गयी है। सूत्रों की मानें तो चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए महागठबंधन चाहती है। महागठबंधन में शामिल होने के लिए रालोद ने एक शर्त रखी है। रालोद की शर्त है कि कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में अजित सिंह के बेटे जयंत को उम्मीदवार बनाया जाए। साथ ही रालोद का कहना है कि अगर जयंत को उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो रालोद कांग्रेस के साथ मिलकर कैराना उपचुनाव लड़ेगी। ऐसे में संभावना बहुत कम है कि सपा-बसपा गठबंधन में रालोद की शर्त मानी जाए।

बसपा ने किया उपचुनाव से किनारा :

सपा-बसपा गठबंधन में बसपा उपचुनाव लड़ने को इच्छुक नहीं है। बसपा साफ कर चुकी है कि वो कभी भी उपचुनाव नहीं लड़ती है। ऐसे में यहाँ भी गोरखपुर और फूलपुर की तरह सपा उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है। इसी उम्मीद में सपा ने अब जिताऊ उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी है। सपा चाहती है कि कैराना में बीजेपी को हराकर न केवल झटका दिया जाए, बल्कि सपा-बसपा गठबंधन का संदेश भी देश भर में जाए। इससे अन्य राज्यों में भी समान विचारधारा वाले दल गठबंधन कर 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीति बना सकेंगे।

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