उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनाव में फिर से विपक्षी एकता दिखाई देने की खबरें आना शुरू हो गयी हैं। राज्यसभा चुनाव में मिली मायूसी के बाद इस चुनाव में सपा क्या बसपा को रिटर्न गिरफ्त दे पाती है, ये देखना काफी दिलचस्प होगा। इस चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस मिलकर 2 सदस्य चुन कर परिषद् में भेज सकती हैं। ऐसे में सपा तो अपने 29 मतों के आधार पर एक सदस्य आसानी से चुन कर भेज सकती है। इस बीच सपा से विधानपरिषद जाने वालों में कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।

भाजपा को मिलेगी 11 सीट :

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में प्रचंड बहुमत होने के कारण भाजपा 324 विधायकों के दम पर आसानी से 11 सीटें जीत सकती है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के पास कुल 47 विधायक हैं मगर नरेश अग्रवाल के भाजपा में चले जाने के बाद उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है। ऐसे में उनका वोट इस चुनाव में भी भाजपा को जाएगा। ऐसे में समाजवादी पार्टी अपने दम पर सिर्फ 1 प्रत्याशी को विधान परिषद पहुंचा सकती है। ऐसा करने के बाद भी सपा के पास 16 वोट अतिरिक्त बच जाएंगे जिन्हें वह बसपा के साथ मिलकर उसके प्रत्याशी को परिषद् भेजने में इस्तेमाल कर सकती है।

सपा में कई हैं दावेदार :

उत्तर प्रदेश की विधान परिषद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा भाजपा सरकार के मंत्रियों महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा समेत कुल 13 सदस्यों का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है। खाली होने वाली 13 सीटों में 7 सपा की, 2-2 भाजपा और बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की 1 सीट है। इनमें एक सीट पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी की भी है जो उनके सपा से बसपा में जाने के बाद रिक्त हुई थी। ऐसे में सपा में 1 सीट के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं। खबरें हैं कि समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव के करीबी राजेंद्र चौधरी या नरेश उत्तम को फिर से परिषद् में भेजा जा सकता है। हालाँकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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