2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन किया गया है। इसके साथ ही दोनों पार्टी के पदाधिकारियों ने मिलकर चुनावी सीटों के बंटवारे पर मंथन करना शुरू कर दिया है। हालाँकि फिर भी इन दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारा उतना आसान नहीं होगा, जितना देखने में लग रहा है। ख़ास कर पूर्वांचल में कुछ ऐसी सीटें हैं जिन्हें लेकर सपा और बसपा के गठबंधन में घमासान मच सकता है।

दोनों पार्टियों का रहा है वर्चस्व :

अगर बात करें, पूर्वांचल के 21 जिलों की तो इसमें करीब आधा दर्जन से ज्यादा सीटें पर दोनों पार्टियों का वर्चस्व बना हुआ है। यहाँ कभी सपा का सांसद रहा तो कभी बसपा का रहा है। ऐसे में दोनों दल चाहेंगे कि सीट उन्हें ही मिले। इलाहाबाद की फूलपुर सीट फिलहाल उपचुनाव के बाद सपा के पास है, लेकिन 2009 की बात करें तो यह सीट बसपा के कब्जे में थी। ऐसे में 2019 में ये सीट किसे मिलेगी, यह तय कर पाना आसान नहीं होगा। वहीँ भदोही में 2009 में यह सीट बसपा के पास थी। वहीं यहाँ पर सपा के जाहिद बेग का रसूख कम नहीं है। ऐसे में इन सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच बंटवारा किसी मायने में आसान नहीं होने वाला है।

इन सीटों पर भी है घमासान :

इनके अलावा राबर्ट्सगंज की सुरक्षित सीट पर बसपा के जितेंद्र एडवोकेट और सपा के अविनाश कुशवाहा टिकट के दावेदार होंगे। सुरक्षित सीट होने के कारण यहाँ पर बसपा का पलड़ा भारी रहने वाला है। जौनपुर में बाहुबली धनंजय सिंह बसपा के टिकट पर जीते थे लेकिन उन पर लगे यौन शोषण के मामले के बाद मायावती ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब जौनपुर से अशोक सिंह तो सपा से वर्तमान विधायक पारस नाथ यादव दावेदार हैं। दोनों की अच्छी पकड़ बताई जा रही है। ऐसे में यहाँ पर टिकट बंटवारा आसान नहीं होगा।

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