तीन तलाक पर फैसले का इंतजार पूरे देश को था. वो फैसला जो मुस्लिम महिलाओं से सीधे तौर पर जुड़ा था. वो फैसला जिसको मुस्लिम महिलाएं अपना हक मानती हैं, अपनी लड़ाई समझती हैं, अपनी लड़ती रही हैं. आज उस ऐतिहासिक फैसले (triple talaq verdict) के बाद उनकी आँखों में आंसू थे. ये आंसू शायद इसलिए थे कि अब उनको न्याय मिलने की उम्मीद जगी है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले ने उन महिलाओं के जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया जिन्होंने अपने जीवन में तीन तलाक की पीड़ा झेली है.
तीन तलाक के वो कारण जिन्होंने किया हैरान:
- कई मामले ऐसे आये जिसमें महिलाओं को छोटी-छोटी बात पर ये दंश झेलना पड़ा.
- पति ने कह दिया तलाक-तलाक-तलाक और पत्नी पर टूटा मुसीबतों का पहाड़.
- मेहर की रकम कम पड़ी तो शादी के बाद तलाक-तलाक-तलाक.
- बेटे की जगह बेटी पैदा होने पर विदेश से आया व्हाट्सएप और लिखा तलाक-तलाक-तलाक.
- महिला अगर बेटे को जन्म नहीं दे पाती है तो तीन तलाक.
- पति ये तक खयाल नहीं करता कि उसका आगे क्या होगा, वो बच्चों को लेकर
- खास बात ये है कि तीन तलाक के तरीके को कई मुस्लिम धर्मगुरु सही ठहराते रहे.
- उन्हें लगता रहा कि अगर इसको प्रतिबंधित किया गया तो उनका वजूद खतरे में पड़ जायेगा.
- आखिर कैसा वजूद जो धर्म की आड़ में महिलाओं के साथ अन्याय देखता रहा.
- कुरीतियों को ख़त्म कर एक बेहतर समाज की स्थापना क्या इनकी जिम्मेदारी नहीं बनती?
- सती प्रथा जैसी कुरीतियों पर भी रोक लगी तो तीन तलाक अलग क्यों?
- बात यहाँ किसी प्रथा से प्रथा की तुलना की नहीं बल्कि अधिकारों की है.
‘सुप्रीम’ फैसले पर बहस जारी:
- संविधान में सभी नागरिकों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की उन्हें मांगने की आजादी है.
- फिर महिलाओं ने अगर इस कुरीति के खिलाफ आवाज उठाई तो गलत क्या किया?
- ये कहना गलत नहीं कि इस मुद्दे पर राजनीति जमकर हुई.
- मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे धर्म से जुड़ा मामला बताया.
- उन्होंने कहा कि उनके धार्मिक मामलों में दखल दी जा रही है.
- खूब डिबेट हुई, मुस्लिम महिलाओं ने पहली बार घर की दहलीज लांघकर कोर्ट में अपील की.
- मामला लम्बा चलना था क्योंकि इसको धर्म से जोड़ा जा रहा था.
- जबकि महिलाओं ने इसे अपने हक और हुकुक की लड़ाई बताया था.
- वर्तमान सरकार भी महिलाओं के पक्ष में थी.
- महिलाओं को उनका हक दिलाने की बात तो सरकार कर रही थी लेकिन अड़चनें कई थीं.
- इन्ही का जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भी किया.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसपर कानून बनाने की जरुरत है.
- सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया.
- लेकिन ये फैसला सर्वसम्मति से नहीं हुआ.
- 5 न्यायाधीशों की पीठ में 3 न्यायाधीश तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे चुके थे.
- चीफ जस्टिस खेहर तीन तलाक के पक्ष में खड़े दिखाई दिए.
- लेकिन बहुमत ने मुस्लिम महिलाओं में न्याय की एक उम्मीद जगा दी.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कानून नहीं बना तो रोक बरक़रार रहेगी.
फ़िलहाल ये तय है कि ये मुद्दा यहीं नहीं थमने वाला है. इस मुद्दे पर बहस जारी रहेगी और जिस प्रकार कुछ धर्मगुरुओं ने तेवर दिखाएँ हैं, आगे कौन सा रंग देखने को मिलेगा अभी इसपर कुछ कहना जल्दबाजी होगी.
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.