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यूपी विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो शायद ही कोई ऐसी पार्टी होगी, जो आज तक सभी जिलों में अपनी धमक कायम कर सकी हो. चाहे वह समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी या फिर कांग्रेस. भाजपा का भी यही हाल रहा है. सूबे में कई जिले हैं रहे हैं जहाँ पार्टी विशेष का दबदबा रहा है वहीँ ऐसे जिले भी हैं जहाँ पार्टी को अदद एक सीट के लिए तरसना पड़ा है.

इन जिलों में अखिलेश की राह हो सकती है मुश्किल:

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नजर डालें अगर यूपी विधानसभा चुनाव 2012 के परिणामों पर तो सत्ताधारी दल ने भले 224 सीटों पर भले ही कब्ज़ा जमा लिया लेकिन अखिलेश के युवा जोश और नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक कद भी इन जिलों में सपा को जीत नहीं दिला सका.
यूपी के 8 ऐसे जिले हैं जहाँ समाजवादी पार्टी को 2012 चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी. कौशांबी, हमीरपुर, ललितपुर, महोबा, बागपत, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मथुरा में सपा को मुंह की खानी पड़ी थी वहीँ शामली की तीन में से एक 1 सीट पर सपा चुनाव जीती थी.
हालांकि 13 जिलों में करीब 50 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया. बाराबंकी, कन्नौज, श्रावस्ती, अंबेडकर नगर, बलरामपुर, भदोही, सुलतानपुर, इटावा, मैनपुरी, औरैया, एटा, संभल और अमरोहा को सपा ने किले में तब्दील कर दिया.
अब जबकि सूबे में 11 फरवरी से चुनाव शुरू हो रहे हैं जो 8 मार्च को समाप्त होंगे, सपा के लिए उन 9 जिलों में जीत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.  कांग्रेस और सपा के गठबंधन के बीच अखिलेश यादव को इन जिलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी. सपा ने 224 सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाया था. वहीँ बसपा को 80 सीटों से संतोष करना पड़ा था. भाजपा को 47 और कांग्रेस को 28 सीटों पर जीत मिली थी जबकि रालोद को 9 सीटों पर जीत मिली.
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