उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने गुरुवार 22 दिसम्बर को कैबिनेट की बैठक बुलाई थी, जिसमें सपा सरकार ने यूपी की 17 अन्य पिछड़ा वर्ग जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
मुख्यमंत्री अखिलेश ने खेला चुनावी दांव:
- समाजवादी सरकार की कैबिनेट मीटिंग में यूपी की 17 अन्य पिछड़ा वर्ग जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी थी।
- हालाँकि, जानकारों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अखिलेश के हाथ में इस निर्णय का अधिकार नहीं है।
- वहीँ मुख्यमंत्री अखिलेश भी यह बात भली-भांति जानते हैं, जिसके चलते सीएम ने यह चुनावी दांव खेला है।
- मुख्यमंत्री अखिलेश इस मामले को अब प्रदेश की जनता के सामने इस कदर पेश करेंगे कि, उन्होंने वादा पूरा किया,
- “लेकिन केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश चुनाव के चलते सरकार के इस फैसले में टांग अड़ा दी है”।
ये हैं वो 17 जातियां:
- मल्लाह, भर, बाथम, तुरहा, निषाद, कहार, केवट, कुम्हार, राजभर, प्रजापति, कश्यप, धीवर, धीमर, बिंद, माझी, गौड़ और मछुवा।
पहले भी हो चुका है ‘यह फैसला’:
- यूपी सरकार द्वारा 17 अन्य पिछड़ा वर्ग को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद कोई पहली बार नहीं हुई है।
- 2006 में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने चुनाव से पहले यही फैसला लिया था।
- जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
- 2012 में मायावती ने चुनाव से पहले केंद्र सरकार के पास यह प्रस्ताव भेजा था।
- उस समय की मौजूदा यूपीए सरकार ने इस प्रस्ताव पर जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था।
- बसपा सुप्रीमो मायावती जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाई थी, जिसके बाद प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
मुख्यमंत्री अखिलेश का चुनावी स्टंट?:
- सीएम अखिलेश यादव ने यूपी की कैबिनेट मीटिंग में जिन OBC जातियों को SC में शामिल करने का प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
- वहीँ जानकारों के मुताबिक, यह फैसला सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री अखिलेश का चुनावी पैंतरा है।
- जिसके चलते प्रदेश की जनता के सामने केंद्र सरकार की छवि को बुरा बनाकर पेश किया जा सके।
जातियों को शामिल करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास:
- जातियों को शामिल करने का अधिकार राज्य क्षेत्र के दायरे में नहीं आता है।
- इस पर फैसला लेने के सभी अधिकार केंद्र सरकार के पास हैं।
- नियमानुसार, जनगणना विभाग सर्वे करता है कि, देश में किन-किन जातियों आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्तर क्या है?
- जानकारी एकत्रित कर के केंद्र सरकार को सौंपी जाती है, जिस पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेती है।
- वहीँ मुख्यमंत्री अखिलेश यह भली-भांति जानते हैं कि, यह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है।
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस समय यह फैसला लिया है, उससे जाहिर है कि,
- “इस प्रस्ताव को मंजूरी देकर वो अपने चुनावी घोषणापत्र में किये सारे वादों को पूरा करने का क्रेडिट लेंगे बस”।
अंग्रेजों ने बनाया था नियम:
- देश पर करीब 500 सालों तक शासन करने वाले अंग्रेजों ने किसी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का नियम 1935 में बनाया था।
- जिसके तहत अंग्रेजी हुकूमत ने 8 मानक तय किये थे।
- इस नियम के मुताबिक, ऐसे लोगों को इसमें शामिल किया जाना था, जिनके साथ समाज में छुआ-छूत का व्यवहार किया जाता था।
- लेकिन मौजूदा समय के समाज में इनमें से अधिकतर जातियां लोगों के यहाँ काम करते हैं।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें
Tags
#akhilesh passes resolution
#akhilesh passes resolution to add 17 castes under sc
#cabinet meeting
#chief minister Akhilesh Yadav
#उत्तर प्रदेश
#कश्यप
#कहार
#कुम्हार
#केवट
#गौड़ और मछुवा
#तुरहा
#धीमर
#धीवर
#निषाद
#प्रजापति
#बाथम
#बिंद
#भर
#मल्लाह
#माझी
#मायावती
#मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
#राजभर
#सपा सरकार
#समाजवादी सरकार
Divyang Dixit
Journalist, Listener, Mother nature's son, progressive rock lover, Pedestrian, Proud Vegan, व्यंग्यकार