गांधी परिवार के सियासी गढ़ रायबरेली में नेताजी और विधायक जी के नाम से मशहूर अखिलेश सिंह के जलवे के आगे गांधी परिवार का जलवा हमेशा फीका रहा। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी का सियासी गढ़ होने के बावजूद कांग्रेस कभी अखिलेश सिंह को हरा नहीं पाई। अखिलेश सिंह कभी कांग्रेस पार्टी के ही विधायक हुआ करते थे, लेकिन उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद अखिलेश को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया था।

  • अखिलेश सिंह तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुकें हैं।
  • बाद में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार और फिर पीस पार्टी के टिकट पर उन्होने सदर सीट पर चुनाव जीता है।
  • इस बार ख़राब सेहत के कारण अखिलेश सिंह ने अब खुद चुनाव न लड़ कर अपनी बेटी को विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
  • जिसके बाद बसपा, सपा और भाजपासमेंत सभी राजनीतिक दल अखिलेश सिंह पर डोरें डाल रहें थें।
  • लेकिन प्रियंका गांधी के खुद पहल करने के बाद अखिलेश की बेटी अदिति कांग्रेस में शामिल हो गयी।
  • अंदरखाने प्रियंका गांधी ने अहम रोल निभाया और अब वो रायबरेली सदर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।

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प्रियंका ने खत्म की बड़ी चुनौतीः

  • अखिलेश राजनीति के महारथी हैं और रायबरेली में अखिलेश का अपना वोटबैंक है।
  • वो किसी भी पार्टी के लिए एक अहम सियासी हथियार हो सकते हैं।
  • इसीलिए जब उन्होंने अपनी बेटी को सियासत में उतारने का फैसला किया तो हर पार्टी ने उन्हें हाथों हाथ लेना चाहा।
  • प्रियंका गांधी ने बड़ा दांव चलते हुए अमेठी राजघराने के संजय सिंह के ज़रिये अखिलेश से संपर्क साधा।
  • जिसके बाद मेशा अजेय रहे बाहुबली विधायक अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह ने कांग्रेस का  हाँथ थम लिया है।
  • प्रियंका के इस कदम से जहां, रायबरेली में अखिलेश की ताक़त से कांग्रेस को और मज़बूती मिलेगी।
  • वही, कांग्रेस अध्यक्षा के अपने गढ़ में एक बड़ी चुनौती भी ख़त्म हो जायेगी।

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