उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ दिनों से जारी नाटकीय उठापटक फ़िलहाल समाप्त हो चुकी है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव फिर एक बार अपने कुनबे को थामने में सफल रहे हैं। हालाँकि, इस पारिवारिक मतभेद में सपा प्रमुख अपने भाई के साथ नजर आये, लेकिन उनके वर्तमान राजनितिक हालातों से एक बात साफ है कि उनके लिए लिए पार्टी के चारों ही स्तम्भ अखिलेश-शिवपाल-रामगोपाल-अमर सिंह बेहद जरुरी हैं।

  • शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश समर्थकों के इस्तीफे का दौर जारी है।
  • इस बीज शिवपाल सिंह इटावा जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर पद के लिये अपनी पत्नी सरला यादव का नामांकन कराने पहुंचे।
  • यहां पर शिवपाल यादव ने खुले दिल से इस बात को स्वीकार किया कि 2017 का विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के नेतृतव में लड़ा जायेगा।

शिवपाल का इस्तीफा: आह निकलेगी तो दूर तलक जाएगी!

गलत काम करने वाले दे रहें हैं इस्तीफाः

  • इस्तीफे के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो लोग भी पार्टी पदों से इस्तीफा दे रहे है।
  • उससे समाजवादी पार्टी को फायदा ही होगा।
  • सपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वही लोग पार्टी छोड़ रहे हैं, जो अवैध कामो में लिप्त थें।
  • रामगोपाल के भतीजे अक्षय यादव के उस बयान पर कि चाचा पार्टी तोड़ रहे हैं।
  • शिवपाल ने कहा कि कौन पार्टी तोड़ रहा है और कौन जोड़ रहा है यह सबको पता है।
  • हमारी पार्टी में कोई मतभेद नहीं है, पार्टी एकजुट है और सभी को अखिलेश यादव के नेतृतव में विश्वास है।

‘अखिलेश-शिवपाल’ के समर्थक हुए ‘आमने-सामने’, जमकर हुई नारेबाजी!

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