उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में जो घमासान मचा हुआ था, उसने आख़िरकार समाजवादी पार्टी का नुक्सान कर ही दिया। सपा को गठबंधन के साथ ही केवल 54 सीटों पर संतोष करना पड़ा।

अखिलेश यादव ने किये थे संगठन में बदलाव:

  • यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में समाजवादी पार्टी ने अभी तक का अपना सबसे शर्मनाक प्रदर्शन किया है।
  • जिसका पूरा श्रेय अखिलेश यादव खुद ही ले चुके हैं।
  • उन्होंने हार के लिए खुद को पहले ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
  • साथ ही याद हो तो चुनाव से ठीक पहले सपा में आंतरिक कलह शुरू हो गयी थी।
  • जिसे लेकर लोगों द्वारा कयास लगाये गए थे कि, ये सब अखिलेश की इमेज मेकिंग के लिए किया गया है।
  • यदि इस बात को मान भी लिया जाए तो ये कहा जा सकता है कि, अखिलेश यादव की इमेज मेकिंग कुछ ख़ास काम नहीं आई।
  • और यदि वो झगड़ा सही था तो सपा को इसका बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है।
  • क्योंकि इसी झगड़े के बाद अखिलेश यादव ने बलपूर्वक राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से पिता को,
  • प्रदेश अध्यक्ष के पद से शिवपाल सिंह यादव को हटाया था।
  • इसके साथ ही अखिलेश यादव ने पार्टी के पूरे संगठन को ही बदल कर रख दिया था।

शिवपाल सिंह यादव फिर भी रिकॉर्ड वोटों से जीते:

  • संगठन में बदलाव के नाम पर अखिलेश यादव ने जो भी शिवपाल सिंह यादव के साथ किया।
  • उसने रत्ती भर भी शिवपाल सिंह यादव की इमेज को नुक्सान नहीं पहुँचाया।
  • शिवपाल सिंह यादव सूबे की जसवंतनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते हैं।
  • साल 2012 में शिवपाल सिंह यादव को 133563 कुल वोट मिले थे।
  • दूसरे नंबर पर बसपा के मनीष रहे थे, जिन्हें शिवपाल सिंह यादव ने करीब 70 हजार वोटों से हराया था।
  • इस साल हुए चुनाव में शिवपाल सिंह यादव को कुल 126834 वोट मिले थे।
  • वहीँ भाजपा प्रत्याशी मनीष को 74218 वोट मिले थे।
  • हालाँकि इस बार भी शिवपाल सिंह यादव के मत प्रतिशत में थोड़ी सी कमी देखने को मिली।
  • लेकिन पूरे राज्य में सपा के प्रदर्शन के स्तर के बाद यह जीत अपने आप बड़ी हो जाती है।

संगठन में फेल हुए अखिलेश यादव:

  • यूपी चुनाव के परिणामों को देखने के बाद यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि, अखिलेश फेल हो गए हैं।
  • अखिलेश यादव ने संगठन में बदलाव कर बहुमत लाने का जो दावा किया था।
  • उस दावे की पूरी तरह से हवा निकल चुकी है।
  • अखिलेश यादव यूपी चुनाव में अपनी जीत को लेकर इस कदर सुनिश्चित थे कि, उन्होंने शिवपाल को ही संगठन से बाहर कर दिया।
  • जिसके बाद अखिलेश यादव ने बहुमत के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया।
  • यह गठबंधन की योजना भी पूरी तरह से बिहार चुनाव पर आधारित निकली।
  • प्रशांत किशोर को शायद अब ये बात समझ आ गयी होगी कि, उत्तर प्रदेश, बिहार नहीं है।
  • साथ ही हर जगह गठबंधन करके भी जीता नहीं जा सकता है।
  • पूर्व सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव इस बात को समझते थे,
  • शायद इसीलिए प्रशांत किशोर द्वारा गठबंधन की पेशकश को उन्होंने ठुकरा दिया था।
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