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यूपी में चुनाव 11 फ़रवरी से शुरू हो रहा है लेकिन इसके पहले नेताओं का अपनी पार्टी छोड़ अन्य पार्टियों में शामिल होना जारी है. अखिलेश यादव द्वारा समाजवादी पार्टी की कमान संभालने के बाद जिस प्रकार से टिकटों का बंटवारा हुआ या गठबंधन हुआ, उससे कहीं ना कहीं पार्टी के कई नेता और विधायकों में असंतोष जारी है.

इस बड़े नेता ने छोड़ा अखिलेश का साथ:

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समाजवादी पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके नारद राय ने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया है. बलिया सदर से दो बार विधायक चुने गए नारद राय की वापसी कैबिनेट में अखिलेश ने वापसी कराई थी. नारद राय को टेंडर विवाद में अखिलेश यादव ने ही बर्खास्त किया था जब नारद राय के बेटे पर मारपीट कर आरोप लगा था। हालाँकि समाजवादी पार्टी के दंगल में नारद राय शिवपाल के करीब रहे थे और बलिया सदर की सीट से टिकट ना दिए जाने से असंतुष्ट बताये जा रहे थे.

आज बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा द्वारा शाम सात बजे प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई थी जहाँ नारद राय को बसपा की सदस्यता दिलाई गई. नारद राय को बलिया सदर से बसपा का उम्मीदवार बनाया गया है. इसके पूर्व मायावती ने इस प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अखिलेश यादव और राहुल गाँधी के प्रेस कांफ्रेंस पर भी निशाना साधा था.

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