समाजवादी पार्टी की लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद में विरोधाभास उत्पन्न हो गया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक तरफ जहां मुलायम सिंह यादव मुस्लिम वोटर्स को अपने पाले में करने की कोशिशों में नजर आ रहे हैं। वहीं, युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद को हिन्दुत्व की राजनीति में स्थापित करना चाहते है। अखिलेश यादव अब भाजपा के किले में सेंध लगाकर चुनावी फतह चाहते हैं।

  • हिन्दु वोटरों को लुभाने के लिए अखिलेश सरकार ने कई साहसिक कदम उठाये हैं।
  • समाजवादी श्रवण यात्रा के द्वारा हिन्दू तीर्थस्थलों की यात्रा के जरिये अखिलेश ने बीजेपी के किले में सेंध लगायी थी।
  • अखिलेश सरकार ने अपने धर्माथ कार्य विभाग का इस्तेमाल किया।
  • और एक सोची समझी रणनीति के तहत मुफ्त यात्रा की व्यवस्था की।
  • समाजवादी श्रवण यात्रा के जरिये 60 साल से अधिक के बुजुर्गों को चार धाम की मुफ्त यात्रा का प्रबंध किया।
  • यात्रा मे बुजुर्गों को खाना, रहना और वहां घूमने के लिए इंतजाम किये जा रहें हैं।
  • इसके बाद अयोध्या में थीम पार्क और कीर्तन स्थल को इसी दिशा में माना जा रहा है।
  • साथ ही अखिलेश ने अयोध्या में एसी हॉल का निर्माण करके सपा को राम के नाम समर्पित कर दिया।
  • इसके अलावा सीएम कई बार पीठाधीश्र्वरों और साधुओं से विजय का आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं।
  • साधु-संतो को सीएम आवास पर बुलाकर सपरिवार उनसे मुलाकात भी की।

बीजेपी के किले में सेंधः

  • वास्तव में अखिलेश हिंदु वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने की नहीं बल्कि उसमें सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
  • अखिलेश बुआजी का सम्मान तो करते हैं, लेकिन बीजेपी को सांप्रदायिक घोषित करने में देर नहीं लगाते।
  • लोकसभा चुनावों में जिस तरह से हिन्दु वोटर ने बीजेपी के पाले में एकमत हुआ।
  • उसके बाद से ही अखिलेश की नजर बीजेपी के परंपरागत हिन्दु वोटरों पर हैं।
  • बिना अल्पसंख्यक वोटरों से दूर हुए सपा हिन्दु वोटरों को अपने पाले में करने के लिए तैयार है।
  • अखिलेश यादव एक सेट पैटर्न पर काम करते हुए बीजेपी की हर स्ट्रैटजी को फेल कर रहे हैं।
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